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Arvind Kejriwal : ‘खुदा माफ नहीं करेगा’ कहकर बुरे फंसे केजरीवाल, 8 साल पुराने केस में हाई कोर्ट से लगा करारा झटका

Arvind Kejriwal : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बारे टिप्पणी करते हुए ये भी कहा कि कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रथम दृष्टया एक व्यक्ति जोकि एक राज्य का मुख्यमंत्री हो, ऐसे वाक्य या शब्दों का इस्तेमाल करना शोभा नहीं देता, जिसका कुछ छिपा हुआ अर्थ हो।

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anxious arvind kejriwal

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अक्सर अपने राजनीतिक कदमों को लेकर चर्चाओं में बने रहते हैं। कभी अपने माफीनामे को लेकर तो कभी उपराज्यपाल के साथ विवाद को लेकर। अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 8 साल पुराने केस में राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने 2014 में दर्ज किए गए केस में सुल्तानपुर कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी के संयोजक ने उस समय कहा था कि ‘भाजपा को वोट करने वालों को खुदा माफ नहीं करेगा।’ इसके बाद उनके खिलाफ केस दर्ज कराया गया था। लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि केजरीवाल ने वोटर्स को खुदा के नाम पर धमकाया, यह जानते हुए कि ‘खुदा’ शब्द के इस्तेमाल से कुछ वोटर्स प्रभावित होने की संभावना है।

आपको बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बारे टिप्पणी करते हुए ये भी कहा कि कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रथम दृष्टया एक व्यक्ति जोकि एक राज्य का मुख्यमंत्री हो, ऐसे वाक्य या शब्दों का इस्तेमाल करना शोभा नहीं देता, जिसका कुछ छिपा हुआ अर्थ हो। दिल्ली के सीएम के खिलाफ यह केस 2014 में रिप्रजेंटेशन ऑफ द पीपल ऐक्ट 1951 की धारा 125 के तहत केस दर्ज किया गया था। कथित तौर पर केजरीवाल ने आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए एक सार्वजनिक सबा में कहा, ‘जो कांग्रेस को वोट देगा, मेरा मानना होगा, देश के साथ गद्दारी होगी। जो भाजपा को वोट देगा उसे खुदा माफ नहीं करेगा। देश के साथ गद्दारी होगी।’ ट्रायल कोर्ट ने इसका संज्ञान लेकर उन्हें 6 सितंबर 2014 को तलब किया था। इसके बाद केजरीवाल ने राहत के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम की तरफ उम्मीद लगाई है।

लेकिन आपको बता दें कि केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट जाने को कहा गया। इसके बाद आप संयोजक ने स्पेशल जज एमपी/एमएलए सुल्तानपुर के सामने डिस्चार्ज एप्लीकेशन दायर किया, जिसके अगस्त 2022 में खारिज कर दिया गया। एसीजेएम कोर्ट के फैसले को सेशन कोर्ट में भी चुनौती दी गई, जिसे अक्टूबर 2022 में खारिज किया गया। इसके बाद केजरीवाल हाई कोर्ट गए, लेकिन अब वहां से भी निराशा हाथ लगी है। कोर्ट के सामने केजरीवाल ने दलील दी कि उन्होंने धर्म के आधार पर वोट की अपील नहीं की थी और ना ही उन्होंने वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया, इसलिए उन्हें इस कानून के उल्लंघन का दोषी कहना ठीक नहीं है।

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