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Madhya Pradesh CM Mohan Yadav: चाय-पोहा की दुकान और छात्र राजनीति से मध्यप्रदेश के सीएम की कुर्सी, ऐसा रहा डॉ. मोहन यादव का सियासी सफरनामा

डॉ. मोहन यादव ने आज से मध्यप्रदेश के सीएम का पदभार संभाल लिया है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आज उन्होंने सीएम पद की शपथ ली। 2013, 2018 और इस साल वो लगातार तीसरी बार उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। इस बार बीजेपी नेतृत्व ने उनको सत्ता सौंपी है।

भोपाल। डॉ. मोहन यादव ने आज से मध्यप्रदेश के सीएम का पदभार संभाल लिया है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आज उन्होंने सीएम पद की शपथ ली। 2013, 2018 और इस साल वो लगातार तीसरी बार उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। 1965 में जन्मे मोहन यादव ने बीजेपी में तमाम पदों को भी संभाला। उनको मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखने वाला नेता माना जाता है। मोहन यादव ने सीएम की कुर्सी संभालने से पहले कहा है कि वो पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के शुरू किए गए काम को जारी रखेंगे। विकास को प्राथमिकता देने की बात भी मोहन यादव ने कही है। साल 1982 में एबीवीपी से सियासत में कदम रखने वाले 58 की उम्र के मोहन यादव के लिए सीएम की कुर्सी तक का सफर आसान नहीं रहा है।

मोहन यादव के पिता पूनमचंद यादव एक मिल में काम करते थे। पूनमचंद ने गुजारा चलाने के लिए उज्जैन के मालीपुर में चाय, पोहा और भजिया की दुकान भी चलाई। यहां भी मोहन यादव ने काफी वक्त काम करते गुजारा। छात्रसंघ का चुनाव जीतने के बाद भी मोहन यादव इस दुकान पर काम करते थे। मध्यप्रदेश के नए सीएम मोहन यादव पढ़ाई में अव्वल रहे। ऐसे में एक टीचर ने उनकी शिक्षा का खर्च उठाया। अपने शिक्षक सालिगराम की वजह से मोहन यादव पढ़ाई में आगे बढ़े और फिर पीएचडी भी की। मोहन यादव पढ़ाई के दौरान माधव विज्ञान महाविद्यालय में छात्रसंघ के सह सचिव और अध्यक्ष भी रहे। वो एबीवीपी के बड़े पदों पर भी चुने गए। एबीवीपी में रहते हुए उन्होंने छात्रों की तमाम समस्याओं को उठाने का काम किया।

डॉ. मोहन यादव आरएसएस का भी हिस्सा रहे हैं। उन्होंने उज्जैन में सह खंड कार्यवाह समेत कई पदों को संभाला। फिर भारतीय जनता युवा मोर्चा में रहे और मध्यप्रदेश सरकार में भी तमाम पदों को मोहन यादव ने सुशोभित किया। उनकी प्रतिभा देखकर बीजेपी ने 2013 में पहली बार उनको विधानसभा चुनाव का टिकट दिया था। तभी से मोहन यादव लगातार उज्जैन की दक्षिण विधानसभा सीट पर चुनाव जीतते रहे हैं। इस बार बीजेपी नेतृत्व ने उनको मध्यप्रदेश की सत्ता सौंपी है और बड़ी जिम्मेदारी से नवाजा है।