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Okha-Bet Dwarka Bridge: गीता के श्लोक, फुटपाथ से 1 मेगावाट बिजली का उत्पादन; जानिए ओखा और बेट द्वारका के बीच बने उस पुल की खासियत, जिसका पीएम मोदी कल करेंगे लोकार्पण

Okha-Bet Dwarka Bridge: यहां आने वाले तीर्थयात्री बेट द्वारका और ओखा के बीच बने पुल के शुरू होने से बहुत उत्साहित भी हैं। लोगों का कहना है कि पर्यटन के साथ समय भी बचेगा और इससे गुजरात के बुनियादी ढांचे के विकास में भी बड़ी तरक्की होगी।

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी कल यानी रविवार को गुजरात के पवित्र तीर्थ स्थल बेट द्वारका और ओखा के बीच नए बने सिग्नेचर पुल का लोकार्पण करने वाले हैं। बेट द्वारका और ओखा के बीच 2.5 किलोमीटर लंबे इस पुल से द्वारिकाधीश मंदिर के दर्शन करने वालों को बहुत सुविधा होने वाली है। इस पुल को बनाने की आधारशिला साल 2017 में रखी गई थी। इस पुल के शुरू होने के बाद तीर्थयात्रियों को बेट द्वारका तक नाव से नहीं जाना होगा। ओखा और बेट द्वारका के बीच बने इस पुल को बनाने में 978 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इस पुल को भारत का सबसे लंबा केबल पर टिका होने का भी गौरव हासिल है। ओखा और बेट द्वारका के बीच बने सिग्नेचर पुल में फुटपाथ के ऊपरी हिस्सों पर सौर ऊर्जा वाले पैनल लगाए गए हैं। इनसे 1 मेगावाट बिजली पैदा होती है। पुल के दोनों तरफ भगवान कृष्ण की छवियों और गीता के श्लोक लिखे फुटपाथ बने हैं।

यहां आने वाले तीर्थयात्री बेट द्वारका और ओखा के बीच बने पुल के शुरू होने से बहुत उत्साहित भी हैं। लोगों का कहना है कि पर्यटन के साथ समय भी बचेगा और इससे गुजरात के बुनियादी ढांचे के विकास में भी बड़ी तरक्की होगी। पहले ओखा से बेट द्वारका तक तीर्थयात्रियों को 5 घंटे नाव की सवारी कर पहुंचना होता था। अब सिग्नेचर पुल बनने से ये सफर सिर्फ 2 घंटे का ही रह जाएगा। ओखा से नाव के जरिए बेट द्वारका पहुंचने में काफी धन भी खर्च होता था। अब पुल बनने से तीर्थयात्रियों और इस इलाके में रहने वालों की जेब पर बोझ भी कम होगा। साथ ही दिन के अलावा रात में भी पुल से होकर लोग गुजर सकेंगे। पहले रात के वक्त ओखा से बेट द्वारका आने-जाने के लिए लोगों को तमाम मुश्किलों और जोखिम का भी सामना करना होता था।

ओखा और बेट द्वारका के बीच बने सिग्नेचर पुल से देश के अलावा दुनियाभर के पर्यटक भी अब आसानी से भगवान द्वारिकाधीश के दर्शन करने का सौभाग्य हासिल कर सकेंगे। इसके अलावा ये पुल इतना खूबसूरत बना है, जिससे इसे गुजरात में एक और टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर भी पहचान मिलने की पूरी संभावना है।