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Monkeypox: जानिए मंकीपॉक्स बीमारी आपके लिए कितनी है खतरनाक, जिसकी वजह से मोदी सरकार हो गई है अलर्ट

दो साल से ज्यादा वक्त तक कोरोना ने हड़कंप मचाया और अब दुनिया के कई देशों में मंकी पॉक्स के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए मोदी सरकार अलर्ट हो गई है। सरकार ने एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे विदेश से आने वाले यात्रियों पर निगरानी रखें।

नई दिल्ली। दो साल से ज्यादा वक्त तक कोरोना ने हड़कंप मचाया और अब दुनिया के कई देशों में मंकी पॉक्स के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए मोदी सरकार अलर्ट हो गई है। सरकार ने एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे विदेश से आने वाले यात्रियों पर निगरानी रखें। जिन यात्रियों में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखें, उनका सैंपल तुरंत लेकर पुणे की वायरोलॉजी लैब में तुरंत टेस्ट कराया जाए। बता दें कि ब्रिटेन समेत कई देशों में इस नई बीमारी से दहशत है। दर्जनों मरीजों के मिलने से लोगों में हड़कंप है। ब्रिटेन में तो इसके लिए अब टीकाकरण की शुरुआत भी होने जा रही है।

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अब आपको बताते हैं कि आखिर मंकीपॉक्स कैसी बीमारी है और ये कितनी खतरनाक है। इस बीमारी में स्मॉलपॉक्स यानी छोटी माता जैसे दाने निकलते हैं। इसे कम खतरनाक बीमारी माना जाता है। ये बीमारी एक दोहरे स्ट्रेन वाले वायरस से होती है। अब तक हुए शोध के मुताबिक गिलहरी, गैम्बिया चूहे, डर्मिस, बंदर और अन्य जानवरों में भी ये बीमारी देखी जाती है। इंसानों में मंकीपॉक्स सबसे पहले अफ्रीकी देश रिपब्लिक ऑफ कांगो में देखा गया था। साल 1970 में ये बीमारी वहां के एक 9 साल के बच्चे को हुई थी। तबसे ज्यादातर मामले कांगो बेसिन, मध्य और पश्चिमी अफ्रीका में मिलने शुरू हुए थे।

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मंकीपॉक्स के लक्षण वैसे 6 से 13 दिन तक रहते हैं। इसमें बुखार, सिरदर्द, पीठ दर्द, ताकत में कमी के साथ ही लिम्फ नोड्स यानी शरीर की गांठों में सूजन होती है। इसके दाने स्मॉलपॉक्स जैसे ही नजर आते हैं। ये दाने गले के नीचे, चेहरे और हाथ-पैर पर ज्यादा होते हैं। ज्यादातर ये बीमारी चेहरे, हथिलियों और पैरों के तलवों पर असर करती देखी गई है। मंकीपॉक्स से बचाने का एकमात्र तरीका टीकाकरण है। शोध के मुताबिक समलैंगिकों में ये बीमारी सबसे ज्यादा देखी जाती है। इससे बच्चों को भी ग्रस्त होते देखा गया है। आम तौर पर ये बीमारी युवाओं में खासकर होती है। इससे बचने के लिए क्लोज कॉन्टैक्ट से बचना और कोरोना जैसी सावधानियां बरतना है।