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Indian Flag: जानिए कैसे 6वीं बार में मिला देश को भारतीय झंडा?, PM मोदी ने बताया तिरंगे का इतिहास

Indian Flag: देश की आन,बान और शान तिरंगा आज ही के दिन यानी 22 जुलाई को भारत का राष्ट्रीय ध्वज बना था। साल 1947 को ही भारत देश ने तिरंगे को अपना राष्ट्रीय झंडा माना। इसी मौके पर आज देश  के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को इस खास अवसर पर ट्वीट करते हुए जानकारी दी है।

नई दिल्ली। यूँ तो हर भारतवासी को अपने देश और तिरंगे से प्यार है। न केवल प्यार बल्कि तिरंगे को लेकर सम्मान हमारे मन में है। आप में से भी बहुत से लोग ऐसे होंगे जिन्होंने अपने घरों, गाड़ियों में तिरंगा लगाया होगा लेकिन क्या आप तिरंगे का इतिहास जानते हैं। क्या आप जानते हैं कैसे हमें 1 या 2 बार में नहीं बल्कि छठवीं बार में तिरंगा मिला। अगर नहीं हम आपको तिरंगे का पूरा इतिहास बताने जा रहे हैं।

बता दें, देश की आन,बान और शान तिरंगा आज ही के दिन यानी 22 जुलाई को भारत का राष्ट्रीय ध्वज बना था। साल 1947 को ही भारत देश ने तिरंगे को अपना राष्ट्रीय झंडा माना। इसी मौके पर आज देश  के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को इस खास अवसर पर ट्वीट करते हुए जानकारी दी है। पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, “22 जुलाई का हमारे इतिहास में अहम योगदान है, आज ही के दिन 1947 में हमें हमारा झंडा मिला था। मैं हमारे तिरंगे से जुड़े कुछ रोचक तथ्य शेयर कर रहा हूं। इसमें तिरंगे से जुड़ी कमेटी और पंडित नेहरू द्वारा फहराए गए पहले तिरंगे के साथ-साथ इतिहास की कुछ दिलचस्प यादें हैं।”

कैसे बना तिरंगा राष्ट्रीय ध्वज

आज, 22 जुलाई के ही दिन संविधान सभा ने देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के कमिटी की सिफारिश पर तिरंगे को देश के राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अपनाया गया था। जिस तिरंगे के लिए हमारी मन में सम्मान है उसे पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था। सेना में काम कर चुके पिंगली वेंकैया को तिरंगे को डिजाइन करने का जिम्मा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सौंपा गया था।

तिरंगा बनाने में लग गए थे करीब 5 साल

ब्रिटिश इंडियन आर्मी में नौकरी कर रहे पिंगली वेंकैया की दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी से मुलाकात हुई थी। इसी दौरान वेंकैया ने गांधीजी को अपने अलग राष्ट्रध्वज होने की बात कही जो कि राष्ट्रपिता को पसंद भी आई। इस मुलाकात के दौरान पिंगली वेंकैया पर बापू की विचारधारा का काफी प्रभाव भी पड़ा। तभी बापू ने पिंगली वेंकैया को राष्ट्रीय ध्वज डिजाइन करने का काम सौंपा। ये काम मिलने के बाद पिंगली वेंकैया स्वदेश लौट आए और इस पर काम शुरू कर दिया। लगभग 5 सालों के गहन अध्ययन के बाद पिंगली वेंकैया ने तिरंगे का डिजाइन तैयार किया। इस काम में पिंगली वेंकैया को एस.बी.बोमान और उमर सोमानी ने सहयोग दिया और उन्होंने मिलकर नैशनल फ्लैग मिशन का गठन किया।

कई बार हुए झंडे में बदलाव

राष्ट्रीय ध्वज को डिजाइन करते हुए पिंगली वेंकैया ने गांधी जी से सलाह ली। उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज के बीच में अशोक चक्र को रखे जाने की सलाह दी जो पूरे राष्ट्र की एकता का संदेश देता है। पहले पिंगली वेंकैया ने हरे और लाल रंग के इस्तेमाल से झंडा तैयार किया था लेकिन गांधीजी को इसमें संपूर्ण राष्ट्र की एकता की झलक नहीं दिखी ऐसे में फिर ध्वज में रंग को लेकर काफी विचार-विमर्श हुआ। आखिरी में साल 1931 में कराची कांग्रेस कमिटी की बैठक में पिंगली वेंकैया ने ऐसा ध्वज पेश किया जिसमें बीच में अशोक चक्र था साथ ही झंडे में केसरिया, सफेद और हरे रंग का प्रयोग किया गया था।

छठवीं बार में मिला राष्ट्रीय ध्वज

तिरंगा मिलने से पहले देश को पांच और झंडे मिले थे। भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को सामने आया था। जिसे तत्काली कलकत्ता के पारसी बगान चौक में फहराया। ये भी एक तिरंगा था जिसमें हरे, पीले और लाल रंग की पट्टियां शामिल थीं। इस झंडे में हरे रंग की पट्टी में आठ कलम के फूल, लाल रंग की पट्टी में चांद और सूरज और बीच में पीले रंग की पट्टी में ‘वंदे मातरम्’ लिखा हुआ था। देश का दूसरा राष्ट्रीय ध्वज की चर्चा 1907 में हुई। इसे मैडम भीखाजी कामा द्वारा पेरिस में फहराया गया। ये ध्वज काफी हद तक 1906 के झंडे जैसा ही था। हालांकि इसमें सबसे ऊपरी की पट्टी का रंग केसरिया था और कमल के बजाए सात तारे सप्त ऋषि प्रतीक दर्शाए गए थे तो वहीं, नीचे की पट्टी का रंग गहरा हरा था जिसमें सूरज और चांद अंकित थे।

देश में तीसरे झंडे की तस्वीर 1917 में सामने आई जिसे होम रूल आंदोलन के दौरान फहराया गया। इस झंडे में पांच लाल और चार हरी क्षैतिज पट्टियां दर्शाई गई थीं। जिसके अंदर सप्तऋषि के सात सितारे भी थे। बाई और ऊपरी किनारे पर यूनियन जैक मौजूद और एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा था। इसके बाद देश का चौथा झंडा साल 1921 में मिला। विजयवाड़ा में हुए भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र में एक झंडे का प्रयोग हुआ जिसे चौथा राष्ट्रीय ध्वज कहा गया। तीन रंगों की पट्टियों में गांधीजी के चरखे के प्रतीक को दिखाया गया था। इस झंडे में तीन रंग थे जो कि सफेद, लाल और हरा रंग थे। ये रंग दो प्रमुख समुदायों अर्थात हिंदू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करता है। 1947 में अपनाए गए हमारे राष्ट्रीय ध्वज दिखने में काफी कुछ 1921 में अपनाए गए राष्ट्रीय ध्वज जैसा था। इस झंडे में तीन रंग थे केसरिया, सफेद और हरा और सफेद पट्टी के बीचों-बीच गांधी जी के चरखा का प्रतीक दर्शाया गया।