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Chandrayaan 3: ‘चांद पर उतरे चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर अब…’, इसरो चीफ सोमनाथ का बड़ा बयान

भारत ने चंद्रयान-3 के जरिए विक्रम लैंडर को 23 अगस्त की शाम 6.04 बजे सफलता से चांद की सतह पर उतरा था। चांद पर विक्रम लैंडर उतरने के कुछ घंटे बाद प्रज्ञान रोवर इससे बाहर आया था। प्रज्ञान रोवर के बारे में जानकारी दी गई थी कि ये चांद पर करीब 26 मीटर चला है। अब विक्रम और प्रज्ञान पर ताजा अपडेट आया है।

बेंगलुरु। भारत ने चंद्रयान-3 के जरिए विक्रम लैंडर को 23 अगस्त की शाम 6.04 बजे सफलता से चांद की सतह पर उतरा था। चांद पर विक्रम लैंडर उतरने के कुछ घंटे बाद प्रज्ञान रोवर इससे बाहर आया था। प्रज्ञान रोवर के बारे में इसरो की तरफ से शनिवार को जानकारी दी गई थी कि ये चांद की सतह पर करीब 26 मीटर चला है। चांद की सतह पर प्रज्ञान रोवर के चलने का वीडियो भी इसरो ने जारी किया था। अब चांद की सतह पर उतरे विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के बारे में इसरो चीफ डॉ. एस. सोमनाथ का बड़ा बयान आया है।

इसरो चीफ डॉ. सोमनाथ ने शनिवार को मीडिया को बताया कि वैज्ञानिक इस मिशन की कामयाबी पर बहुत खुश हैं। सोमनाथ ने बताया कि वैज्ञानिक मिशन के ज्यादातर उद्देश्य पूरे होने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से जो डेटा मिल रहा है, वो उत्साहजनक है। इसरो चीफ ने ये भी बताया कि अगले 13-14 दिन तक विक्रम और प्रज्ञान से मिलने वाले डेटा का एनालिसिस जारी रहेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि अंतरिक्ष विज्ञान के इस अहम पड़ाव पर भारत सफलता जरूर हासिल करेगा। बता दें कि विक्रम लैंडर में 4 और प्रज्ञान रोवर में 2 यंत्र लगे हैं। जिनके जरिए चांद की सतह पर इसरो के वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं।

इससे पहले शनिवार को ही इसरो ने अपने चंद्रयान-3 अभियान के लक्ष्य बताए थे। इसरो ने ट्वीट कर बताया था कि चंद्रयान के 3 लक्ष्यों में से 2 पूरे किए जा चुके हैं। पहला लक्ष्य भारत ने ये पूरा किया कि उसने दुनिया को दिखा दिया कि चांद की सतह पर सुरक्षित सॉफ्ट लैंडिंग कराई जा सकती है। दूसरा लक्ष्य ये था कि चांद पर रोवर उतारकर उसे चलाया जा सकता है। वहीं, तीसरा लक्ष्य इसरो ने बताया था कि चांद पर वैज्ञानिक शोध जारी हैं और सभी यंत्र ठीक से काम कर रहे हैं। बता दें कि इसरो के चंद्रयान-1 अभियान के जरिए इसरो ने पता किया था कि चांद के दक्षिण ध्रुव पर कम मात्रा में पानी है। ये खोज करने वाला इसरो दुनिया का पहला अंतरिक्ष संस्थान है।