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What is Talaq-E-Hasan: जानिए क्या है ‘तलाक-ए-हसन’, जिस पर रोक लगाने की मुस्लिम महिला ने उठाई है मांग, तीन तलाक से कितना है अलग

Ghaziabad: पीड़ित महिला ने तलाक-ए-हसन पर भी रोक लगाने की मांग की है। महिला का दावा है कि उसके पति और उनके परिवार वालों ने उन्हें टॉर्चर किया। वहीं, जब वो गर्भवती थी तब भी उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।

नई दिल्ली। देश की नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन तलाक जैसे मुस्लिम रीति-रिवाज के खिलाफ कानून ला चुकी है। महिलाओं के अधिकारों का हनन करने वाले इस रीति-रिवाज के खिलाफ कानून बनने के बाद से ही इसके सामने आ रहे मामले लगभग कम हो चुके हैं लेकिन अब एक ‘तलाक-ए-हसन’ का मामला सिर उठाने लगा है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में तलाक-ए-हसन के खिलाफ याचिका दायर हुई है। पीड़ित महिला ने तलाक-ए-हसन पर भी रोक लगाने की मांग की है। महिला का दावा है कि उसके पति और उनके परिवार वालों ने उन्हें टॉर्चर किया। वहीं, जब वो गर्भवती थी तब भी उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।

Triple Talaq 'Talaq-e-Hasan'.

बता दें, कोर्ट में ‘तलाक-ए-हसन’ के खिलाफ याचिका दायर करने वाली महिला का कहना है कि उसकी 25 दिसंबर 2020 को मुस्लिम रीति-रिवाज से शादी हुई थी। इस शादी से उसका एक लड़का भी है लेकिन उसका पति लगातार उसपर दहेज के लिए दबाव बनाता रहा। जब महिला ने इसके लिए इंकार किया तो उसे बुरी तरह प्रताड़ित किया गया। बाद में वकील के जरिए पति ने उसे तलाक-ए-हसन के तहत तलाक दे दिया। खुद के साथ हुए इस पूरे घटनाक्रम को लेकर पीड़ित महिला ने याचिका दायर करते हुए तलाक-ए-हसन को मनमाना और तर्कहीन बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की है। इसके साथ ही महिला का ये भी कहना है कि ये आर्टिकल 14, 15, 21 और 25 के खिलाफ है।

Triple Talaq 'Talaq-e-Hasan'..

क्या है तलाक-ए-हसन?

इस्लाम में तलाक देने के तीन तरीके निर्धारित हैं। पहला है तलाक-ए-अहसन, दूसरा है तलाक-ए-हसन और तीसरा है तलाक-ए-बिद्दत। इन तीन तरीकों में से तीसरा तरीका तलाक-ए-बिद्दत गैरकानूनी बन चुका है। इसे ही आम भाषा में तीन तलाक कहा जाता है।

ये हैं इस्लाम में तलाक देने के तीन तरीके

तलाक-ए-अहसन- इसके तहत शौहर अपनी पत्नी को तब तलाक दे सकता है, जब उसका मासिक धर्म न चल रहा हो। इसे तीन महीने की समय अवधि के दौरान वापस भी लिया जा सकता है, जिसे ‘इद्दत’ कहा जाता है। अगर इद्दत की समय अवधि खत्म हो जाए और तलाक वापस नहीं लिया जाता तो इस तलाक को स्थायी माना जाता है।

Triple Talaq 'Talaq-e-Hasan'...

तलाक-ए-हसन- तलाक-ए-हसन के तहत तीन महीने में तीन बार तलाक देना पड़ता है। इस तलाक को बोलकर और लिखकर दिया जा सकता है। इसमें भी तलाक-ए-अहसन की तरह ही तलाक तभी दिया जाता है जब बीवी का मासिक धर्म न चल रहा हो। इसमें भी इद्दत की अवधि खत्म होने से पहले तलाक वापस लिया जा सकता है। इस प्रक्रिया के तहत तलाकशुदा शौहर और बीवी फिर से शादी के बंधन में बंध सकते हैं, हालांकि ये तभी होता है जब बीवी किसी दूसरे व्यक्ति से शादी कर ले और उसे तलाक दे दे। इस प्रक्रिया को ‘हलाला’ भी कहा जाता है।

तलाक-ए-बिद्दत- इसके तहत शौहर अपनी पत्नी को एक ही बार में तीन बार बोलकर या लिखकर तलाक दे सकता है। तीन बार तलाक के बाद शादी तुरंत खत्म मानी जाती है। हालांकि वर्तमान में तीन तलाक देना गैर कानूनी है और ऐसा करने पर 3 साल तक की सजा का भी प्रावधान है। इस प्रक्रिया में भी तलाकशुदा शौहर-बीवी दोबारा शादी कर सकते थे, लेकिन इसके लिए हलाला की प्रक्रिया को अपनाया जाता है।