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Same Sex Marriage: समलैंगिक विवाह के लिए किसने और कब दी अर्जी, किन वकीलों ने की बहस और कितने देशों में ऐसी शादी को है मंजूरी, जानिए यहां

समलैंगिक विवाह की मंजूरी के लिए याचिका देने वालों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी, वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी, मेनका गुरुस्वामी और अरुंधति काटजू ने पक्ष रखा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र की राय के बारे में पक्ष सुप्रीम कोर्ट के सामने रखे।

नई दिल्ली। समलैंगिकों के बीच शादी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सबकी नजर है। ये जानना भी जरूरी है कि आखिर समलैंगिक विवाह को वैध ठहराने के लिए कोर्ट तक ऐसे जोड़े क्यों पहुंचे। दरअसल, सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने नवतेज सिंह जौहर के मामले में फैसला सुनाते हुए समलैंगिकों के बीच सेक्स संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया। इससे पहले समलैंगिक संबंध बनाने पर सामाजिक और कानूनी कार्रवाई की जा सकती थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद देश के अलग-अलग कोर्ट में समलैंगिक विवाह को मंजूरी दिलाने के लिए 20 याचिकाएं दाखिल हुईं। इनमें हैदराबाद के समलैंगिक जोड़े सुप्रिय चक्रवर्ती और अभय डांग की अर्जी भी थी। दोनों 10 साल से साथ रह रहे हैं और अपनी शादी को कानूनी मान्यता दिलाने की जंग लड़ रहे हैं। साल 2022 में सुप्रिय और अभय ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी।

court

सुप्रिय चक्रवर्ती और अभय डांग की अर्जी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2022 में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। फिर 6 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग अदालतों में दाखिल ऐसी ही अर्जियों को अपने पास मंगा लिया। इस मामले में केंद्र सरकार को कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए कहा। इस पर इस साल 12 मार्च को केंद्र ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं का विरोध किया। पहले चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बेंच ने सुनवाई की, लेकिन एकराय न हो पाने की वजह से 13 मार्च 2023 को इस मसले को 5 सदस्यों वाली संविधान पीठ को भेज दिया। 15 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने संविधान पीठ बनाई और 18 अप्रैल 2023 से रोजाना संविधान पीठ ने सुनवाई शुरू की।

supreme court

समलैंगिक विवाह की मंजूरी के लिए याचिका देने वालों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी, वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी, मेनका गुरुस्वामी और अरुंधति काटजू ने पक्ष रखा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने समलैंगिक विवाह के खिलाफ केंद्र सरकार की राय के बारे में सभी पक्ष सुप्रीम कोर्ट के सामने रखे। समलैंगिक विवाह को भारत के पड़ोसी देश नेपाल समेत 32 देशों में मान्यता है। नेपाल में सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल मार्च में समलैंगिक विवाह को जायज बताया था। नेपाल के अलावा नीदरलैंड, बेल्जियम, कनाडा, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, नॉर्वे, स्वीडन, अर्जेंटीना, पुर्तगाल, आइसलैंड, डेनमार्क, उरुग्वे, ब्राजील, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और वेल्स, फ्रांस, लक्जेमबर्ग, स्कॉटलैंड, अमेरिका, आयरलैंड, फिनलैंड, ग्रीनलैंड, कोलंबिया, माल्टा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, ताइवान, इक्वाडोर, उत्तरी आयरलैंड और कोस्टारिका में भी समलैंगिक विवाह को मंजूरी मिली हुई है।