
नई दिल्ली। राष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद द्रौपदी मुर्मू ने पहले के सभी राष्ट्रपतियों की परंपरा का पालन किया। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपने साथ ले जाकर उनके नए आवास तक पहुंचाया। कुछ देर मुर्मू ने कोविंद के साथ उनके नए घर में बिताया। ये स्थापित परंपरा रही है कि नया चुना गया राष्ट्रपति इस पद से रिटायर होने वाले को उसके नए सरकारी आवास तक पहुंचाकर आता है। रामनाथ कोविंद को मोदी सरकार ने दिल्ली में ही उनकी इच्छा के मुताबिक सरकारी आवास मुहैया कराया है। कोविंद अब 12 जनपथ स्थित बंगले में जीवन पर्यंत रहेंगे।
अपने नए आवास पर जाने से पहले रामनाथ कोविंद और द्रौपदी मुर्मू संसद भवन से सीधे राष्ट्रपति भवन पहुंचे। वहां दोनों को राष्ट्रपति अंगरक्षक बल ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। जिसके बाद मुर्मू अपने साथ कोविंद को लेकर उनके आवास पर पहुंचीं। 12 नंबर जनपथ का बंगला केंद्र में कद्दावर नेता और मंत्री रहे रामविलास पासवान के पास था। पासवान के जीवित रहते किसी और को ये बंगला नहीं मिला। पासवान के निधन के बाद उनके बेटे और सांसद चिराग पासवान कुछ दिन तक इस बंगले में रहे। वो इसे अपने पिता की स्मृति के तौर पर रखना चाहते थे। रामविलास पासवान की एक मूर्ति भी चिराग ने लगवा दी थी, लेकिन मोदी सरकार ने उनसे बंगला खाली करा लिया। ये बंगला कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी के 10 जनपथ स्थित बंगले से सटा हुआ है। इस तरह रामनाथ कोविंद आज से सोनिया के पड़ोसी हो गए हैं।
कोविंद से पहले मोदी सरकार ने इस बंगले को चिराग के चाचा पशुपति पारस को देना चाहा था, लेकिन पारस ने बंगला लेने से इनकार कर दिया। फिर संचार और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को बंगला अलॉट किया गया, लेकिन वो भी 12 जनपथ में रहना नहीं चाहते थे। रामनाथ कोविंद ने इस बंगले के लिए हामी भर दी। खास बात ये है कि नियमों के तहत मान्य होते हुए भी कोविंद और उनके परिवार ने बंगले में कुछ भी बदलाव नहीं कराया है। यहां तक कि फर्नीचर भी नहीं बदला है। बंगले का बस रंग-रोगन हुआ है और पर्दे वगैरा बदले गए हैं।