
जोशीमठ के एक मकान में आई दरार के बाद परिवार ने किया पलायन
जोशीमठ। उत्तराखंड के जोशीमठ में हाहाकार मचा है। 600 से ज्यादा घरों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं। कई जगह सड़कों पर भी दरारें आई हैं। लोगों की जान बचाने के लिए उत्तराखंड सरकार उन्हें सुरक्षित जगह ले गई है। बदरीनाथ से महज 50 किलोमीटर दूर इस प्राचीन धार्मिक नगर को बचाने की हर संभव कोशिश हो रही है। एक्सपर्ट्स की टीम बनाई गई है। केंद्र सरकार ने भी कमेटी बनाकर रिपोर्ट मांगी है। इसके साथ ही तमाम निर्माण कार्यों पर रोक लगाई गई है। जोशीमठ के पास ही तपोवन विष्णुगाड पनबिजली परियोजना का निर्माण कार्य भी चल रहा था। इस परियोजना का जिम्मा एनटीपीसी पर है। एनटीपीसी पर आरोप लगा है कि वो एक टनल बनवा रही है। इसी वजह से जोशीमठ में जमीन दरक रही है और मकानों को खतरा पैदा हो गया है। क्या वाकई एनटीपीसी की टनल से ही जोशीमठ को खतरा है? इस सवाल का जवाब कंपनी ने बयान जारी कर दिया है।
एनटीपीसी ने अपने बयान में साफ कहा है कि उसके टनल से जोशीमठ को खतरा पैदा नहीं हुआ है। कंपनी के मुताबिक टनल बोरिंग मशीन से सुरंग बनाई जा रही है। कोई ब्लास्टिंग भी नहीं की जा रही है। कंपनी ने अपने बयान में कहा है कि वो पूरी जिम्मेदारी से कह रही है कि उसकी ओर से बनाई जा रही टनल का जोशीमठ में जमीन दरकने से कोई संबंध नहीं है। एनटीपीसी ने ये भी बताया है कि उसकी सुरंग जोशीमठ शहर के नीचे से भी नहीं जा रही है। पढ़िए एनटीपीसी की ओर से जारी बयान।
बता दें कि जोशीमठ के खतरे में होने की बात पहले दो सरकारी रिपोर्ट में सामने आ चुकी थी। विशेषज्ञों ने पिछले साल यानी 2022 के अगस्त महीने में जोशीमठ का दौरा किया था। उनकी रिपोर्ट में कहा गया था कि इस इलाके में निर्माण कार्य से पहले बड़े पैमाने पर लोगों को दूसरी जगह हटाना पड़ेगा। इसके अलावा एक और रिपोर्ट 1976 की है। तब गढ़वाल के कमिश्नर मुकेश मिश्रा की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सरकार को जानकारी दी थी। कमिश्नर की रिपोर्ट में था कि जोशीमठ रेतीली मिट्टी और ग्लेशियर से बहकर आई मिट्टी पर बसा है। इसकी नींव को छेड़ने पर बड़ा हादसा हो सकता है। यहां खनन और ब्लास्टिंग पर रोक लगाने के साथ ही अलकनंदा नदी के किनारे सुरक्षा दीवार बनाने का सुझाव दिया गया था। खास बात ये है कि सरकारों ने दोनों ही रिपोर्ट पर कोई कदम नहीं उठाया। नतीजे में अब जोशीमठ वालों के जान-माल पर बन आई है।