
नई दिल्ली। मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के मंत्री पोनमुडी के हालिया भाषणों के लिए उनके खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्यवाही शुरू कर दी। न्यायमूर्ति आनंद वेंकटेश ने पोनमुडी को शैव, वैष्णव और महिलाओं पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए फटकार भी लगाई है। जज ने कहा कि मंत्री की टिप्पणियां महिलाओं के लिए पूरी तरह से अपमानजनक हैं और हिंदू धर्म के दो मुख्य संप्रदायों वैष्णववाद और शैववाद पर जानबूझकर किया गया प्रहार है। उनका कृत्य प्रथम दृष्टया बीएनएस की धारा 79, 196 (1) (बी), 296 (ए), 299 आदि के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। कोर्ट ने कहा कि पोनमुडी ने ना सिर्फ अश्लील बाते कहीं बल्कि वैष्णवों और शैवों की धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंचाया।
जस्टिस वेंकटेश ने कहा कि मंत्री ने आपत्तिजनक बयान देने की बात स्वीकार की थी और उन्हें पद से हटा दिया गया था। फिर भी, पुलिस अधिकारी, जिसे इस मामले में कार्रवाई का काम सौंपा गया वो निष्क्रियता दिखाई। जो कि सबसे अधिक परेशान करने वाली बात है। जस्टिस वेंकटेश ने कहा कि कोर्ट यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि तमिलनाडु पुलिस सुप्रीम कोर्ट के उन निर्देशों का पालन करे जो नफरत भरे भाषण के संबंध में दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि नफरती भाषण से संबंधित मामलों में पुलिस की जीरो टॉलरेंस की भूमिका होनी चाहिए है। जज ने यह भी याद दिलाया कि मंत्री पोनमुडी को इसी अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराया था। जस्टिस वेंकटेश ने कहा कि इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी इसलिए वह स्वतंत्रता का आनंद लेते रहे। इस स्वतंत्रता का दुरुपयोग उन्होंने बेहद अपमानजनक भाषण के जरिए किया।
पोनमुडी के इस बयान पर हुआ विवाद
पोनमुडी ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान कहानी सुनाते हुए कहा था कि एक बार एक आदमी सेक्स वर्कर के पास गया। सेक्स वर्कर महिला ने उस आदमी से पूछा कि वह शैव है या वैष्णव। पोनमुडी ने आगे कहा, जब वो आदमी सेक्स वर्कर की बात नहीं समझा तो फिर उसने पूछा क्या वो पट्टई (आड़ा तिलक, जिसे शैव संप्रदाय के लोग लगाते हैं) या नामम (सीधा तिलक, जिसे वैष्णव संप्रदाय के लोग लगाते हैं) में से क्या लगाता है। तब सेक्स वर्कर उसे कहती है कि अगर तुम शैव हो तो लेटी हुई पोजिशन होगी और अगर वैष्णव हो तो खड़ी पोजिशन होगी।