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Madras High Court On Appointment Of Vice Chancellors: वाइस चांसलर की नियुक्ति मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु की डीएमके सरकार को दिया जोर का झटका, गवर्नर से शक्ति छीनने पर लगाई रोक

Madras High Court On Appointment Of Vice Chancellors: वाइस चांसलर की नियुक्ति की शक्ति गवर्नर से छीनकर राज्य सरकार के पास देने के तमिलनाडु की डीएमके सरकार को देने के आदेश के खिलाफ बीजेपी के नेता के. वेंकटचलपति ने मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गवर्नर की ओर से पास 8 संशोधनों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका दाखिल की थी।

चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को तमिलनाडु की डीएमके सरकार को जोर का झटका देते हुए राज्य की सभी यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर की नियुक्ति संबंधी आदेश पर रोक लगा दी। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि अगर राष्ट्रपति और गवर्नर बिल को 3 महीने तक मंजूरी न दें, तो उसे कानून के तौर पर लागू किया जाएगा। इसी आदेश के तहत तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने वाइस चांसलर की नियुक्ति संबंधी आदेश जारी किया था। इसमें वाइस चांसलर की नियुक्ति के गवर्नर की शक्ति को छीनकर राज्य सरकार के तहत किया गया था। मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन और जस्टिस वी. लक्ष्मीनारायण की बेंच ने तमिलनाडु सरकार के आदेश पर रोक लगा दी।

राज्य सरकार की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता पी. विल्सन की दलील भी कोर्ट ने नहीं मानी। विल्सन ने दलील दी थी कि कोई अंतरिम आदेश देने से पहले मामले को शुक्रवार तक स्थगित किया जाए। कोर्ट ने जब आदेश जारी किया, तो विल्सन ने कहा कि जजों का माइक म्यूट है और वो सुन नहीं सके कि क्या आदेश दिया गया। इस पर मद्रास हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि आदेश अपलोड किया जाएगा। वाइस चांसलर की नियुक्ति की शक्ति गवर्नर से छीनकर राज्य सरकार के पास देने के तमिलनाडु की डीएमके सरकार को देने के आदेश के खिलाफ बीजेपी के नेता के. वेंकटचलपति ने मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गवर्नर की ओर से पास 8 संशोधनों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका दाखिल की थी। जनहित याचिका में राज्य की ओर से संचालित यूनिवर्सिटीज में वाइस चांसलर की नियुक्ति संबंधी प्रावधान में चांसलर की जगह सरकार शब्द का इस्तेमाल करने को चुनौती दी गई थी।

याचिका देने वाले बीजेपी नेता ने दलील दी कि इस तरह का संशोधन यूजीसी एक्ट के खिलाफ है और इसे अमान्य किया जाना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि ऐसे संशोधनों को पारित घोषित करने वाले तमिलनाडु सरकार का गजट नोटिफिकेशन भी नियमों का उल्लंघन है। उन्होंने इन संशोधनों को मनमाना बताया और तर्क दिया कि शिक्षा से संबंधित मामला है और ऐसे मसलों को राजनीति से ऊपर के प्राधिकारी को सौंपना चाहिए। वहीं, तमिलनाडु सरकार के एडवोकेट जनरल पीएस रमन का कहना था कि जब तक कानून को पहली नजर में असंवैधानिक और मौलिक अधिकारों का हनन करने वाला नहीं दिखाया जाता, उस वक्त तक रोक नहीं लगाई जा सकती। उन्होंने ये दलील भी दी कि इससे संबंधित मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

वहीं, अतिरिक्त महाधिवक्ता पी. विल्सन ने कहा कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई के सामने इस मामले का मौखिक तौर पर उल्लेख किया गया है। विल्सन ने कहा कि एक-दो दिन में सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हो सकती है। ऐसे में मद्रास हाईकोर्ट कोई आदेश न दे। विल्सन ने ये तर्क भी दिया कि गवर्नर की चांसलर के तौर पर भूमिका बरकरार है। सिर्फ वाइस चांसलर नियुक्त करने की उनकी शक्ति ली गई है। विल्सन ने ये आरोप भी लगाया कि याचिका में फर्जी गजट नोटिफिकेशन लगाया गया है। उन्होंने इसकी जांच की मांग की। इसके बाद कोर्ट ने करीब 7 बजे अपना फैसला सुनाया और आदेश पर रोक लगा दी।