नई दिल्ली। पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोपों में घिरीं टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को 16 जनवरी को बंगला खाली करने का नोटिस मिला था, लेकिन अब उन्होंने इस नोटिस के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बता दें कि उक्त प्रकरण को दिल्ली हाईकोर्ट के जज गिरीश कठपलिया की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है। अब ऐसे में आगामी दिनों में कोर्ट का इस पूरे मामले में क्या रुख रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन आइए उससे पहले हम आपको पूरा माजरा विस्तार से बता देते हैं।
दरअसल, बीते दिनों गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखा था, जिसमें टीएमसी की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा पर व्यापारी दर्शन हीरानंदानी से पैसे लेकर संसद में उनके हित में सवाल पूछने का आरोप लगाया था, जिसे संज्ञान में लेने के बाद इस मामले को संसद की एथेक्स कमेटी के पास भेजा गया था। इस बीच व्यापारी दर्शन हीरानंदानी ने खुद पूरे मामले पर प्रतिक्रिया दी। जिसमें उन्होंने महुआ पर लगे आरोपों की पुष्टि कर दी और इसके साथ ही कई ऐसे खुलासे भी कर दिए, जिससे रूबरू होने के बाद हर किसी के होश फाख्ता हो गए।
व्यापारी दर्शन हीरानंदानी ने कहा कि महुआ अपने फायदे के लिए मुझसे नजदीकियां बढ़ा रही थी, लेकिन जब मुझे लगा कि वो मेरा इस्तेमाल कर सकती है, तो मैंने उससे दूरी बना ली। उधर, बाद खुद महुआ मोइत्रा ने प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा कि ये आरोप राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित होकर लगाए जा रहे हैं, जिसमें बिल्कुल भी सत्यता नहीं है। इसके साथ ही महुआ ने कहा कि उन्होंने बीते दिनों संसद के सत्र के दौरान अडानी प्रकरण को लेकर केंद्र की मोदी सरकार से एक या दो नहीं, बल्कि अनेकों सवाल दागे हैं, जिसकी वजह से खीज में आकर मोदी सरकार मुझे परेशान करने की कोशिश कर रही है, लेकिन मैं परेशान होने वाली नहीं हूं।
वहीं, इन प्रतिक्रियाओं के बीच महुआ मोइत्रा को अपनी जांच संपन्न करने के बाद एथिक्स कमेटी ने दोषी ठहरा दिया, जिसके बाद उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई। ध्यान दें, जब किसी राजनेता की संसद सदस्यता रद्द कर दी जाती है, तो उसे केंद्र सरकार की ओर से आवंटित हुआ आवास छीन लिया जाता है। बता दें कि बीते दिनों मोदी उपनाम प्रकरण में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता छीनी गई थी, तो उन्हें भी संसद की आवास समिति की ओर से बंगला खाली करने का नोटिस मिला था, जिसके बाद कांग्रेस नेताओं ने ‘मेरा घर राहुल का घर’ नामक अभियान शुरू किया था, जिस पर बीजेपी ने तंज भी कसा था।