newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

ASI Survey Of Bhojshala: धार स्थित भोजशाला के एएसआई सर्वे में धड़ाधड़ निकल रहीं प्राचीन मूर्तियां, मुस्लिम इस जगह को बताते हैं कमाल मौला मस्जिद

ASI Survey Of Bhojshala: भोजशाला में जारी एएसआई सर्वे में अब तक महिषासुर, भगवान गणेश, भगवान कृष्ण, हनुमान, ब्रह्मा समेत 33 मूर्तियां मिली हैं। कुल 1800 अवशेष एएसआई ने हासिल किए हैं। भोजशाला में पहले भी प्राचीन मंदिर के अवशेष मिलते रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेश पर सर्वे हो रहा है।

धार। मध्यप्रदेश के धार स्थित भोजशाला में एएसआई का सर्वे जारी है। भोजशाला में शनिवार को एएसआई के सर्वे का 93वां दिन था। यहां 98 दिन तक एएसआई को सर्वे करना है। भोजशाला में हो रहे सर्वे के दौरान शनिवार को एएसआई ने खुदाई की। इस खुदाई में जटाधारी शिव और 7 फन वाले वासुकी की काले पत्थर से बनी प्रतिमाएं मिलीं। एक कलश और पत्थरों से बने अन्य अवशेष भी मिले। अब तक भोजशाला के एएसआई सर्वे में धड़ाधड़ मूर्तियां निकल रही हैं।

भोजशाला में जारी एएसआई सर्वे में अब तक महिषासुर, भगवान गणेश, भगवान कृष्ण, हनुमान, ब्रह्मा समेत 33 मूर्तियां मिली हैं। कुल 1800 अवशेष एएसआई ने हासिल किए हैं। भोजशाला में पहले भी प्राचीन मंदिर के अवशेष मिलते रहे हैं। इन सभी को अब संजोकर रखा जाएगा। एएसआई को भोजशाला में और 5 दिन सर्वे का काम करना है। इसके बाद 4 जुलाई को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में अपनी रिपोर्ट देनी है। उस दिन हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। भोजशाला का विवाद काफी पुराना है। जिसे खत्म करने के लिए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने दाखिल याचिका के आधार पर पहल की है।

धार में जिसे हिंदू भोजशाला कहते हैं, उसी को मुस्लिम समुदाय कमाल मौला मस्जिद बताता है। हिंदू पक्ष का कहना है कि राजा भोज ने यहां माता सरस्वती का मंदिर बनवाया था। हिंदू पक्ष का दावा है कि माता सरस्वती की मूर्ति अब लंदन के म्यूजियम में है। हिंदू पक्ष का कहना है कि भोजशाला के मंदिर को तोड़कर उसपर मुस्लिमों ने कब्जा किया और मस्जिद होने का एलान कर दिया। आज भी नियम के तहत भोजशाला में एएसआई की तरफ से मंगलवार को हिंदुओं को पूजा और शुक्रवार को मुस्लिमों को नमाज पढ़ने की छूट मिली हुई है। खास बात ये कि धार जिले की सरकारी वेबसाइट भी बताती है कि भोजशाला पहले माता सरस्वती का मंदिर हुआ करता था। वहीं, मुस्लिम समुदाय प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला देकर दावा करता है कि इसका मूल स्वरूप इस कानून के तहत बदला नहीं जा सकता। अब देखना है कि एएसआई के सर्वे रिपोर्ट के बाद मध्यप्रदेश हाईकोर्ट क्या फैसला देता है। हालांकि, ये तय है कि भोजशाला के मामले में हिंदू और मुस्लिम पक्ष में लंबी कानूनी जंग चलने वाली है।