
नई दिल्ली। दिल्ली में स्वास्थ्य विभाग से संबंधित नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में भी कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं जिससे आम आदमी पार्टी सरकार के कई भ्रष्टाचार उजागर हुए हैं। कैग रिपोर्ट में दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिकों की खस्ताहाल हालत का जिक्र किया गया है। साथ ही यह भी बताया गया है कि केंद्र सरकार से पैसा मिलने के बावजूद आप सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में फंड का पूरा उपयोग नहीं किया। अस्पताल में डॉक्टरों और स्टाफ की कमी के साथ कोरोना काल में फंड गड़बड़ी भी कैग की रिपोर्ट में उजागर की गई है।
कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ समेत कुल 8,194 पद खाली पड़े हैं जिन पर आप सरकार के द्वारा कोई भर्ती नहीं की गई। वहीं कोविड के दौरान केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली के लिए 787.91 करोड़ रुपये जारी किए गए मगर तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सिर्फ 582.84 करोड़ रुपये ही पर खर्च किए। जिस कारण से दिल्ली वासियों को दवाई और इलाज के लिए परेशानी का सामना करना पड़ा। वहीं आप सरकार ने साल 2016 से 2021 के बीच दिल्ली के अस्पतालों में 32 हजार बेड बढ़ाने का वादा किया था मगर सिर्फ 1,357 बेड ही बढ़ाए गए।
वहीं मोहल्ला क्लीनिकों की बात करें तो कैग रिपोर्ट के मुताबिक 21 मोहल्ला क्लीनिकों में शौचालय नहीं थे। 6 मोहल्ला क्लीनिक ऐसे मिले जहां डॉक्टरों के लिए टेबल तक नहीं थी। वहीं 15 मोहल्ला क्लीनिकों में बिजली बैकअप की सुविधा नहीं थी। साथ ही मोहल्ला क्लीनिकों में दिव्यांगों के लिए भी कोई सुविधा नहीं थी। सीएजी की रिपोर्ट में दिल्ली में तीन निर्माणाधीन अस्पतालों के बनने में देरी और इसके चलते बजट बढ़ोत्तरी भी उजागर हुई है। इंदिरा गांधी अस्पताल के निर्माण में 5 साल की देरी हुई और तय लागत से 314.9 करोड़ रुपये ज्यादा लगे। इसी तरह बुराड़ी अस्पताल और एमए डेंटल अस्पताल (फेज-2) में भी तय लागत क्रमश: 41.26 करोड़ रुपये और 26.36 करोड़ रुपये बढ़ गई।