नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने साफ कह दिया है कि वो पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को फिर से लागू नहीं करेगी। लोकसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार की तरफ से वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी नई पेंशन योजना (एनपीएस) को ही दुरुस्त करने पर विचार कर रही है। यानी मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना को ही ज्यादा लाभदायक बनाने का काम किया जाएगा। सरकारी कर्मचारी लगातार ओपीएस लागू करने की मांग कर रहे हैं। सरकारी कर्मचारियों ने बीते दिनों ओपीएस को लागू करने की अपनी मांग के सिलसिले में दिल्ली के रामलीला मैदान में बड़ी रैली भी की थी, लेकिन अब केंद्र सरकार ने इस बारे में अपना रुख साफ कर दिया है।
पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का वादा कांग्रेस और विपक्षी दल लगातार कर रहे हैं। कांग्रेस ने कर्नाटक और हिमाचल विधानसभा चुनाव के अलावा हाल ही में हुए मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम विधानसभा चुनाव में भी ओपीएस लागू करने का वादा किया था। इसकी वजह से कांग्रेस को सरकारी कर्मचारियों के पोस्टल बैलेट में से ज्यादातर वोट भी मिले थे। पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की विपक्षी सरकारों ने ओपीएस बहाल किया था। हिमाचल में भी कांग्रेस सरकार ने इसका वादा किया है। वहीं, कर्नाटक सरकार भी ओपीएस लाने की सोच रही है। अब केंद्र सरकार की तरफ से ओपीएस फिर लागू न करने की बात कहे जाने के बाद सियासत के गरमाने के आसार हैं। मोदी सरकार का ये बयान इसलिए भी खास मायने रखता है, क्योंकि अगले साल लोकसभा के भी चुनाव होने हैं।
सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार अब नई पेंशन योजना यानी एनपीएस में ऐसा बदलाव करेगी, ताकि सरकारी कर्मचारी को रिटायर होने के बाद अंतिम सैलरी का करीब 40 फीसदी पेंशन मिल सके। पुरानी पेंशन योजना में यही लाभ कर्मचारियों को मिलता था। जबकि, नई पेंशन योजना में अब तक ये लाभ नहीं मिल रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी खुद इशारों में कह चुके हैं कि पुरानी पेंशन योजना लागू करने से देश और राज्यों की माली हालत बिगड़ने का अंदेशा है। रिजर्व बैंक ने भी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि पुरानी पेंशन योजना से राज्यों के खजाने पर बर्दाश्त के बाहर बोझ पड़ेगा। आरबीआई के मुताबिक अगर सारे राज्य ओपीएस को फिर लागू करते हैं, तो उनपर खर्च का दबाव 4.5 गुना बढ़ जाएगा। इसका जीडीपी पर खराब असर होगा। ओपीएस लागू करने से साल 2060 तक अतिरिक्त खर्चा का जीडीपी पर बोझ 0.9 फीसदी तक पहुंचने के आसार बन जाएंगे। आरबीआई के मुताबिक ओपीएस फिर से लागू किया, तो पिछले आर्थिक सुधारों का फायदा खत्म हो जाएगा और आने वाली पीढ़ियों को नुकसान भी होगा।