नई दिल्ली। देश की सियासत एक बार फिर गरमाने के आसार दिख रहे हैं। ‘एबीपी न्यूज’ की खबर के मुताबिक मोदी सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर संशोधन कानून यानी NPR बिल ला सकती है। इस बिल के पास होने पर देश में हर एक जन्म और मृत्यु को दर्ज करने का प्रावधान होगा। मौजूदा सभी नागरिकों के नाम एनपीआर में दर्ज किए जाएंगे। इस बिल का विपक्ष जमकर विरोध कर सकता है। विपक्ष पहले भी कहता रहा है कि एनपीआर से देश में एनआरसी यानी घुसपैठियों की पहचान के बहाने एक समुदाय विशेष का उत्पीड़न करने की साजिश है। विपक्ष ने अगर विरोध किया, तो मोदी सरकार को फिर राज्यसभा में अपने पक्ष में गणित बिठाने के लिए तमाम दलों का सहयोग लेना होगा।
इस संशोधन बिल से जन्म और मृत्यु पंजीकरण एक्ट 1969 में संशोधन होगा। इसके अलावा डेटा का इस्तेमाल वोटर लिस्ट, आधार, राशन कार्ड, पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस बनाने और अपडेट करने में भी किया जाने वाला है। एनपीआर में धारा 3-ए भी जोड़ी जाएगी। इससे भारत में जन्म और मृत्यु के आंकड़े को रजिस्ट्रार जनरल अपडेट रख सकेंगे। सरकार इस कानून की धारा 8 में भी बदलाव करने वाली है। इसमें कहा गया है कि अगर आधार संख्या है, तो जिम्मेदार लोगों को माता-पिता या जन्म के मामले में मुखबिर और मृतक, के मामले में मुखबिर देने की जरूरत होगी। यानी इसकी सूचना कोई भी सरकार को दे सकेगा।
धारा 17 में भी बदलाव किया जाना है। जिसके तहत सरकार ने जन्म की तारीख और स्थान को साबित करने के लिए शिक्षण संस्थानों की टीसी, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर लिस्ट, मैरिज सर्टिफिकेट, सरकारी नौकरी के दस्तावेज, पासपोस्ट आदि को मान्य करने की व्यवस्था करेगी। एनपीआर की धारा 23 में भी सरकार संशोधन करेगी। जो सूचना को रोकने के लिए दंड से संबंधित होगी। ऐसे में जुर्माने को 50 रुपए से बढ़ाकर 1000 रुपए किया जाएगा। जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने में एक हफ्ते से ज्यादा देरी नहीं की जा सकेगी। रजिस्ट्रार को हर हाल में मृत्यु के कारण का सर्टिफिकेट देना जरूरी कर दिया जाएगा।