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Parliament Session: सोमवार को फिर विपक्ष और मोदी सरकार में फिर दिखेगा नीट पेपर लीक पर टकराव!, जानिए आखिर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला पर क्यों टिकीं नजरें?

Parliament Session: सूत्रों के अनुसार सोमवार को भी कांग्रेस और विपक्ष पहले नीट पेपर लीक मामले पर चर्चा की मांग करने वाले हैं। विपक्ष का इरादा नीट मसले पर मोदी सरकार को पूरी तरह घेरने का है। वहीं, सरकार हर हाल में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा कराना चाहेगी।

नई दिल्ली। संसद की कार्यवाही सोमवार यानी कल से एक बार फिर शुरू होने जा रही है। लोकसभा और राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के बाद धन्यवाद प्रस्ताव पास होना है। 1 जुलाई को पीएम नरेंद्र मोदी को चर्चा के बाद लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलना है। वहीं, राज्यसभा में मोदी को 3 जुलाई को अपनी बात रखनी है, लेकिन लोकसभा में नीट पेपर लीक के मुद्दे पर चर्चा के लिए कांग्रेस और विपक्षी दल अड़े हुए हैं। ऐसे में बीते शुक्रवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के लिए कोई चर्चा नहीं हो सकी।

सूत्रों के अनुसार सोमवार को भी कांग्रेस और विपक्ष पहले नीट पेपर लीक मामले पर चर्चा की मांग करने वाले हैं। विपक्ष का इरादा नीट मसले पर मोदी सरकार को पूरी तरह घेरने का है। वहीं, सरकार हर हाल में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा कराना चाहेगी। ऐसे में मोदी सरकार और विपक्ष में नई लोकसभा के पहले सत्र में ही जोरदार टकराव का नजारा दिख सकता है। मोदी सरकार में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान ही विपक्ष नीट के मसले पर अपनी बात रख दे। सरकार नीट पर अब तक लिए गए एक्शन की जानकारी तभी दे देगी, लेकिन कांग्रेस समेत विपक्षी दल पहले नीट पेपर लीक मामले पर चर्चा कराने के लिए अड़े हुए हैं।

विपक्ष और सरकार के बीच नीट मामले में टकराव के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला पर सबकी नजर रहेगी कि वो किस तरह राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा कराते हैं। अगर विपक्ष का हो-हल्ला जारी रहा और नीट पेपर लीक मामले में सरकार के साथ चर्चा पर सहमति न बनी, तो लोकसभा अध्यक्ष का फैसला बहुत अहम रोल अदा करने वाला है। बता दें कि लोकसभा में एनडीए सरकार के पास 292 सांसद हैं। जबकि, विपक्ष के पास 235 सांसद हैं। वहीं, बीजेडी और वाईएसआरसीपी जैसी पार्टियों के भी कुछ सांसद हैं। जो किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं।