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Monsoon Session: संसद में निर्मला सीतारमण ने पेश किया संशोधन विधेयक, बैंक उपभोक्‍ताओं के संरक्षण लिए है नया कानून

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा के पटल पर बैंक उपभोक्‍ताओं के संरक्षण के लिए बैंकिंग रेग्‍युलेशन एक्‍ट, 1949 में संशोधन के लिए विधेयक (Amendment Bill) रख दिया है।

नई दिल्ली। मानसून सत्र (Monsoon Session) को लेकर संसद की कार्यवाही जारी है। ऐसे में इस सत्र में कई बिल सरकार के द्वारा सदन के पटल पर रखे जाने हैं। आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा के पटल पर बैंक उपभोक्‍ताओं के संरक्षण के लिए बैंकिंग रेग्‍युलेशन एक्‍ट, 1949 में संशोधन के लिए विधेयक (Amendment Bill) रख दिया है। इस विधेयक को सरकार बैंक उपभोक्‍ताओं (Bank Customers) की मुश्किलों को कम करने के लिए लेकर आई है। इस बिल को संसद के निचले सदन में पेश करते हुए वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने कहा कि केंद्र सरकार बैंकिंग रेग्‍युलेशन एक्‍ट, 1949 (Banking Regulation Act, 1949) में संशोधन कर बैंक उपभोक्‍ताओं के हितों की रक्षा सुनिश्चित करना चाहती है।

Nirmala Sitharaman

लोकसभा के पटल पर इस बिल को रखते हुए वित्‍त मंत्री सीतारमण ने कहा कि जब भी कोई बैंक किसी भी तरह की मुश्किल में पड़ता है तो उसमें जमा लोगों के कड़ी मेहनत से कमाए पैसे संकट में फंस जाते हैं। उन्‍होंने कहा कि देश के 227 अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों (Urban Co-Operative Banks) की माली हालत बेहद खराब है। इसके अलावा 105 को-ऑपरेटिव बैंक ऐसे हैं, जिनके पास जरूरी न्‍यूनतम नियामकीय पूंजी (Minimum Regulatory Capital) तक नहीं है। वहीं, 47 को-ऑपरेटिव बैंकों की नेटवर्थ निगेटिव (Negative Net Worth) है। वहीं, 328 अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों की कुल नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (Gross NPA) 15 फीसदी से ज्‍यादा हैं।

Nirmala Sitharaman

वित्त मंत्री ने संसद के मानसून सत्र (Monsoon Session) के पहले ही दिन सोमवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) को रीकैपिटलाइजेशन बॉन्ड (Recapitalisation bonds) के जरिये 20 हजार करोड़ रुपये देने के लिए संसद की मंजूरी मांगी थी। सरकार का कहना है कि उसके इस कदम से सरकारी बैंक को बड़ी राहत मिलेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि कोरोना संकट के बीच कर्जदारों से पैसे वापस नहीं मिलने के कारण सरकारी बैंक दबाव में हैं। उनका नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) बढ़ रहा है। सरकार इन बैंकों को पूंजी उपलब्ध कराकर नकदी संकट से निकल पाएगी।

Nirmala

इस मांग को लोकसभा के सामने रखते हुए सीतारमण ने कहा कि इससे देश का राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) भी नहीं बढ़ेगा। उन्‍होंने कहा था कि बढ़ते एनपीए (NPA) के कारण संकट में आए सरकारी बैंकों को राहत के लिए ये कदम उठाया जा रहा है। इससे पहले जुलाई में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि सरकार को सरकारी और प्राइवेट बैंकों के लिए एक रीकैपिटलाइजेशन प्लान लेकर आना चाहिए, ताकि ये बैंक बढ़ते एनपीए के दबाव को झेल पाएं।