
नई दिल्ली। इस वक्त टीवी, अखबार और सोशल मीडिया तीनों पर ही बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham Row) के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Shastri) की चर्चा हो रही है। उन्हें लेकर लोग दो धड़ों में बंटे हुए हैं। कई उनके समर्थन में खड़े हैं। तो कई ऐसे भी हैं जो उनका विरोध करते हुए एक के बाद एक उन्हें चुनौतियां दे रहे हैं। बीते कुछ दिनों से 26 साल के पंडित धीरेंद्र शास्त्री को लेकर शुरू हुई चर्चा आज नेशनल मुद्दा बन गया है। ये बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अगर आप भारत के बड़े चैनलों को खोलकर देखेंगे तो आपको हर जगह उनकी ही चर्चा देखने को मिलेगी। अब ऐसे में पंडित धीरेंद्र शास्त्री नेशनल मुद्दा बन गए हैं कहना गलत नहीं होगा।
रामदेव बाबा के बाद मिलना उषा ठाकुर का साथ
धीरेंद्र शास्त्री के विवादों में आने के बाद योग गुरू बाबा रामदेव का बयान सामने आया था। बाबा रामदेव ने धीरेंद्र शास्त्री का साथ देते हुए कहा था कि, “कुछ पाखंडी धीरेंद्र शास्त्री पर टूट पड़े हैं और सवाल कर रहे हैं कि बालाजी की कृपा क्या है, हनुमान जी की कृपा क्या है?” योग गुरु बाबा रामदेव का समर्थन मिलने के बाद मध्य प्रदेश की कैबिनेट मिनिस्टर उषा ठाकुर ने धीरेंद्र शास्त्री का समर्थन तो किया लेकिन इस दौरान वो एक विवादित बयान दे बैठीं।
उषा ठाकुर ने कहा कि जो भी लोग धीरेंद्र शास्त्री का विरोध कर रहे हैं वो लोग केवल और केवल देशद्रोही हैं। कैबिनेट मिनिस्टर उषा ठाकुर ने सनातन दृढ़ता से मजबूती से खड़ा है। यही वजह है कि राष्ट्र द्रोहियों को ठेस हो रही है। इस तरह के षड्यंत्र बरसो से चले आ रहे हैं। ये जो लोग धीरेंद्र शास्त्री के विरोध में उतरे हैं ये कुछ और नहीं बल्कि देशद्रोही हैं।
कहां से हुई विवाद की शुरुआत?
धीरेंद्र शास्त्री उस वक्त से चर्चा में आए जब वो महाराष्ट्र के नागपुर शहर में श्री राम चरित्र-चर्चा के आयोजन में पहुंचे हुए थे। इस दौरान जहां दरबार में उनकी कथा चल रही थी तो एक संस्था अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति ने उनपर आरोप लगाया कि वो जादू-टोने और अंधविश्वास फैला रहे हैं। समिति ने ये भी कहा कि अगर वो हमारे मंच पर आकर अपना यही चमत्कार दिखा पाते हैं हम उन्हें 30 लाख देंगे लेकिन अगर वो ऐसा नहीं कर पाते तो उन्हें कोर्ट में मुकदमा झेलने के लिए तैयार रहना होगा। इस चैलेंज के मिलने के बाद धीरेंद्र शास्त्री उन्हें कथा कार्यक्रम को कुछ दिनों पहले ही खत्म करके वहां से चले जाते हैं। धीरेंद्र शास्त्री का कथा को जल्दी खत्म कर लौट जाने के बाद ये विवाद शुरू हो गया था। तब से ही ये विवाद खत्म होने की बजाय लगातार बढ़ता जा रहा है।