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Muslim Clerics On Hijab Row: हिजाब के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस धूलिया की राय से मुस्लिम धर्मगुरु खुश, हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज बोले…

इस साल की शुरुआत में कर्नाटक के उडुपी में सरकारी पीयू कॉलेज में 6 छात्राएं हिजाब पहनकर गई थीं। जिसका विरोध हुआ था। इसके बाद छात्राएं अड़ गई थीं। कर्नाटक सरकार ने इस पर हिजाब पहनकर स्कूल-कॉलेज जाने पर बैन लगा दिया था। मुस्लिम छात्राओं ने इस आदेश के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया था। हाईकोर्ट ने मार्च में सरकार के आदेश को सही बताया था। जिसके बाद छात्राओं ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी थी।

नई दिल्ली। हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की राय बंटने के बाद इस मामले में मुस्लिम पक्ष ने खुशी जाहिर की है। लखनऊ ईदगाह के पेश इमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने जस्टिस सुधांशु धूलिया की तरफ से हिजाब बैन को रद्द करने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाएं और लड़कियां सम्मान में हिजाब पहनती हैं। उन्होंने कहा कि धार्मिक मान्यताओं को जारी रखना जरूरी है। मीडिया से बातचीत में मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने जस्टिस धूलिया की तारीफ की और कहा कि जज साहब ने शिक्षा के हक को अहम समझा, इसके लिए मुस्लिम समुदाय उनका शुक्रगुजार रहेगा। उन्होंने ये भी उम्मीद जताई कि बड़ी बेंच जब इस मामले में सुनवाई करेगी, तो वो भी मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा पर जरूर ध्यान देगी।

supreme court and hijab row

वहीं, सुप्रीम कोर्ट के जजों का फैसला आने से पहले हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने हिजाब बैन के पक्ष में बयान दिया था। अनिल विज ने हिजाब बैन को सही ठहराया था। विज ने कहा था कि जिन पुरुषों का मन महिलाओं को देखकर मचलता था, उन्होंने ही महिलाओं को हिजाब पहनने के लिए मजबूर किया। विज ने कहा था कि जरूरत तो मन को मजबूत करने की थी, लेकिन सजा महिलाओं को मिली। उनको सिर से लेकर पैर तक ढक दिया गया। उन्होंने हिजाब पहनने को पूरी तरह नाइंसाफी बताया था। विज ने अपील की थी कि मुस्लिम पुरुष अपना मन मजबूत करें और महिलाओं को हिजाब पहनने से मुक्ति दें।

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बता दें कि इस साल की शुरुआत में कर्नाटक के उडुपी में सरकारी पीयू कॉलेज में 6 छात्राएं हिजाब पहनकर गई थीं। जिसका विरोध हुआ था। इसके बाद छात्राएं अड़ गई थीं। कर्नाटक सरकार ने इस पर हिजाब पहनकर स्कूल-कॉलेज जाने पर बैन लगा दिया था। मुस्लिम छात्राओं ने इस आदेश के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया था। हाईकोर्ट ने मार्च में सरकार के आदेश को सही बताया था। जिसके बाद छात्राओं ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी थी।