
नई दिल्ली। नफरत की फैक्ट्री चलाने वाले कट्टरपंथियों को दो मुस्लिम युवकों ने दिया मुंहतोड़ जवाब… भगवान राम के नाम पढ़े तारीफ में कसीदे……जी हां…जो भी सुन रहे हैं आप…बिल्कुल सही सुन रहे हैं… परोक्ष रूप से ही सही… लेकिन इन युवकों ने महाकाव्य रामायण का सहारा लेकर समाज को बांटने वाले कट्टरपंथियों की ना महज बोलती बंद की है, बल्कि उन्हें हद में रहने की भी हिदायत दी है और उन्हें चेता दिया है कि मजहब के नाम पर देश को बांटने की नापाक कोशिशों को विराम दें। चलिए, अब आपको इन दो युवकों के बारे में तफसील से बताते हैं। मौलवियों द्वारा निकाले गए फतवों की परवाह किए बगैर मलप्पुरम के दो मुस्लिम छात्र मोहम्मद जाबिर पीके और मोहम्मद बसीथ एम ने रामायण प्रतियोगिता में अद्भुत, अकल्पनीय और अविस्मरणीय सफलता हासिल की है, जिसकी चौतरफा प्रशंसा की जा रही है। मुस्लिम संपद्राय से रहने के बावजूद भी रामायण के प्रति इन छात्रों के ज्ञान ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। इस प्रतियोगिता में 1 हजार से भी ज्यादा छात्रों ने देश के विभिन्न राज्यों ने हिस्सा लिया था लेकिन इन दोनों ही मुस्लिम छात्रों द्वारा सुनाए गए श्लोक ने सभी को उनका मुरीद बना दिया और इसके साथ ही उन कट्टरपंथियों को भी करारा जवाब दे डाला है, जो मजहब के नाम पर कभी ओछी सियासत करने आ जाते हैं, तो कभी समाज में नफरत का सैलाब बहाने पर उतारू हो जाते हैं।
आपको बता दें कि ये दोनों ही छात्र केकेएचएम इस्लामिक एंड आर्ट्स कॉलेज वालेंचेरी में इस्लामिक स्ट्डीज की पढ़ाई करते हैं। दोनों युवा का रामायण में से पसंदीदा श्लोक अयोध्याकांड है जिसमें लक्ष्मण के क्रोध और प्रभु श्रीराम की ओर से अपने भाई को दी जा रही सांत्वना का जिक्र है। इसमें भगवान राम राज्य और शक्ति की निरर्थकता के बारे में बता रहे हैं। मोहम्मद जबीर और मोहम्मद बशीथ दोनों कॉलेज के दोस्त हैं। ये दोनों ही ना महज मुस्लिम अपितु हर धर्म की जानकारी रखते हैं। धार्मिक ग्रंथों के प्रति इनकी रुची शुरू से ही रही है। वहीं, अभी स्थानीय मीडिया में इनकी खूब चर्चा हो रही है। लोग इनकी तारीफ को पुल बांध रहे हैं।
इसके साथ ही मोहम्मद जबीर कट्टरपंथियों को करारा जवाब देते हुए कहते हैं कि देश के प्रत्येक नागरिक को महाकाव्य का अध्ययन करना चाहिए। इसके मानसिक बुद्धि का विकास होता है। इसके साथ ही उन्होंने भगवान राम की तारीफ की भी तारीफ की, जिसमें उऩ्होंने कहा कि राम को अपने पिता से किए वादे को पूरा करने के लिए अपने राज्य का त्याग करना पड़ा। सत्ता के अंतहीन संघर्षों के दौर में रहते हुए हमें राम जैसे पात्रों और रामायण जैसे महाकाव्यों से प्रेरणा लेनी चाहिए। फिलहाल, अभी दोनों ही मुस्लिम युवाओं के नाम तारीफ के कसीदे पढ़े जा रहे हैं।