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Jammu-Kashmir: BJP के साथ मिलकर सरकार बनाने को तैयारी में थी अब्दुल्ला की पार्टी, इस नेता ने किया बड़ा खुलासा!

Jammu-Kashmir: गौरतलब है कि साल 2014 के विधानसभा चुनावों में पीडीपी ने 28 सीटें जीती थीं, भाजपा ने 25 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं नेशनल कांफ्रेंस के खाते में 15 सीटें आई थी, जबकि कांग्रेस को 12 सीटों पर संतोष करना पड़ा था।

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पूर्व विधायक और भारतीय जनता पार्टी के नेता देवेंद्र सिंह राणा ने बड़ा खुलासा किया है। जिसके बाद घाटी में सियासी पारा गर्मा सकता है। दरअसल राणा ने दावा किया है कि नेशनल कांफ्रेंस (National Conference) प्रमुख फारूक अब्दुल्ला साल 2014 में जम्मू-कश्मीर में भाजपा के साथ गठबंधन सरकार बनाने के लिए तैयार थे। आपको बता दें कि बीते साल अक्टूबर में देवेंद्र सिंह राणा नेशनल काफ्रेंस का दामन छोड़कर भगवा पार्टी में शामिल हो गए थे। उनके साथ पूर्व मंत्री एसएस सलाथिया ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। दोनों केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, धर्मेंद्र प्रधान और जितेंद्र सिंह की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ली थी। ध्यान रहे कि देवेंद्र राणा का बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, चूंकि यह नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बयान के ठीक उल्टा है। उन्होंने पीडीपी संरक्षक मुफ्ती मोहम्मद सईद को 2014 में भाजपा के साथ सरकार बनाने के खिलाफ यह कहते हुए आगाह किया था कि यह एक आपदा है।

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बता दें कि देवेंद्र राणा ने डोडा जिले में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘2014 के विधानसभा चुनावों में त्रिशंकु नतीजों के उपरांत मुझे प्रतिनिधिमंडल के रूप में तत्कालीन नेतृत्व द्वारा दिल्ली भेजा गया था, ताकि बीजेपी को नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ सरकार बनाने के लिए सहमत किया जा सकें। उन्होंने आगे कहा कि हम भगवा के साथ गठबंधन सरकार बनाने के लिए तैयार थे। राणा ने उमर के राजनीतिक सलाहकार के रूप में अपना पद छोड़ने के बाद 2011 में नेशनल कांफ्रेंस के प्रांतीय अध्यक्ष का पद संभाला था।’

farooq and devendra

उन्होंने कहा कि पीडीपी ने भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन बाद में उसी पार्टी के साथ गठबंधन सरकार बनाई। गौरतलब है कि साल 2014 के विधानसभा चुनावों में पीडीपी ने 28 सीटें जीती थीं, भाजपा ने 25 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं नेशनल कांफ्रेंस के खाते में 15 सीटें आई थी, जबकि कांग्रेस को 12 सीटों पर संतोष करना पड़ा था।