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MP Politics: ‘न तो CM शिवराज, न ही प्रदेश अध्यक्ष बदलेगी मध्य प्रदेश बीजेपी’; अमित शाह की खास बैठक की अंदरूनी बातें

MP Politics: शाह का दौरा और उसके बाद की मुलाकात मध्य प्रदेश में बीजेपी के लिए काफी मायने रखती है। चौहान के नेतृत्व और शर्मा की भूमिका को जारी रखने की पुष्टि करके, शाह का लक्ष्य आंतरिक असंतोष को दबाना और महत्वपूर्ण राज्य चुनाव से पहले एक एकीकृत मोर्चा पेश करना है। राज्य में अपनी कम मजबूत स्थिति से अवगत भाजपा को अपनी सफलता की संभावनाओं को अधिकतम करने के लिए अपने संसाधन जुटाने होंगे और आक्रामक तरीके से प्रचार करना होगा।

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी बदलने वाली है मुख्यमंत्री का चेहरा?, क्या मध्य प्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के बीजेपी प्रमुख विष्णु दत्त शर्मा को बदला जाएगा ? ये वो तमाम प्रश्न थे जो काफी समय से मध्य प्रदेश की सियासत में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच चल रहे थे। लेकिन अब अमित शाह की एक बैठक के बाद इन सवालों पर विराम लगता नजर आ रहा है। बीते कुछ समय से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मध्य प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के बीच खराब संबंधों को देखते हुए तमाम अटकलें लगाईं जा रही थी कि शायद प्रदेश में एक बड़ी सियासी फूट को चुनाव से पहले बीजेपी सुलझाने के लिए महत्वपूर्ण बदलाव करेगी। हालांकि इसको लेकर गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंगलवार को भोपाल में हुई बड़ी पार्टी बैठक में अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया कि बवाल करने से कुछ नहीं होगा क्योंकि भारतीय जनता पार्टी चुनाव से ठीक पहले कोई हंगामा नहीं चाहती है, इसलिए ना तो सीएम का चेहरा बदला जाएगा और न ही राज्य में बीजेपी प्रमुख को ही बदला जाएगा।

शीर्ष नेताओं को भी उनकी योजनाओं के बारे में जानकारी नहीं थी

मंगलवार को गृहमंत्री शाह ने भोपाल में बैठक की थी, हालांकि कहा ये भी जा रहा है कि शाह की ये बैठक अचानक प्रस्तावित की गई क्योंकि सोमवार तक मुख्यमंत्री समेत राज्य के शीर्ष नेताओं को भी उनकी योजनाओं के बारे में जानकारी नहीं थी। लेकिन अचानक ही शाह ने कहा था कि वह पार्टी के एक कार्यक्रम के लिए कुछ घंटों के लिए भोपाल जाएंगे। ये मीटिंग इसीलिए अचानक ही की गयी थी। जानकारी के अनुसार मंगलवार को गृह मंत्री रात करीब 8.30 बजे भोपाल पहुंचे और बंद कमरे में बैठक की जो ढाई घंटे तक जारी रही। उनके साथ मध्य प्रदेश में भाजपा के चुनाव प्रभारी भूपेन्द्र यादव और सह-प्रभारी अश्विनी वैष्णव भी मौजूद रहे। गृहमंत्री शाह की इस महत्वपूर्ण बैठक में शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, कैलाश विजयवर्गीय, राज्य ‘प्रभारी’ मुरलीधर राव और नरेंद्र तोमर आदि तमाम महत्वपूर्ण नेता शामिल रहे।

पार्टी नेताओं को एकता का मंत्र दिया

ये बैठक कितनी महत्वपूर्ण थी इसका अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि इसमें वो सभी नेता शामिल थे जो मध्य प्रदेश की सियासत के शक्ति के केंद्र माने जाते हैं। बैठक में अमित शाह ने पार्टी नेताओं को एकता का मंत्र दिया, पार्टी के संगठन को चुनाव से पहले मजबूत करने को लेकर भी रणनीति पर विचार किया गया। इस बार भारतीय जनता पार्टी का कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस के सामने मिली हार के बाद रुख आक्रामक रहेगा। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति हालांकि उतनी मजबूत नहीं मानी जा रही है, लेकिन फिर भी भारतीय जनता पार्टी कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है फिर चाहे वह पार्टी के संगठन में आपसी मतभेद को दूर करने की बात हो या फिर पार्टी के प्रचार की बात हो।

पार्टी को एकजुट और आक्रामक रुख अपनाने की जरूरत पर बल

बैठक के दौरान शाह ने पार्टी को एकजुट और आक्रामक रुख अपनाने की जरूरत पर बल देते हुए इस बात पर जोर दिया कि सभी को एक स्वर में अपनी बात रखनी चाहिए. उन्होंने भाजपा के अभियान में आक्रामकता की कमी पर अपना असंतोष व्यक्त किया और नेताओं से भाजपा की एक आउटरीच पहल ‘विजय संकल्प अभियान’ शुरू करके आगामी चुनावों की तैयारी करने का आग्रह किया। शाह ने पार्टी की चुनावी तैयारियों की रोजाना समीक्षा करने के अपने इरादे की घोषणा की और इस प्रक्रिया में अपनी सक्रिय भागीदारी का संकेत दिया। इसके अतिरिक्त, शाह ने चौहान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए शर्मा द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए पार्टी संगठन की जिम्मेदारी पर प्रकाश डाला।

शाह का लक्ष्य आंतरिक असंतोष को दबाना

शाह का दौरा और उसके बाद की मुलाकात मध्य प्रदेश में बीजेपी के लिए काफी मायने रखती है। चौहान के नेतृत्व और शर्मा की भूमिका को जारी रखने की पुष्टि करके, शाह का लक्ष्य आंतरिक असंतोष को दबाना और महत्वपूर्ण राज्य चुनाव से पहले एक एकीकृत मोर्चा पेश करना है। राज्य में अपनी कम मजबूत स्थिति से अवगत भाजपा को अपनी सफलता की संभावनाओं को अधिकतम करने के लिए अपने संसाधन जुटाने होंगे और आक्रामक तरीके से प्रचार करना होगा। शाह की सक्रिय भागीदारी और चुनाव तैयारियों की दैनिक समीक्षा मध्य प्रदेश में पार्टी के प्रदर्शन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का संकेत देती है।

अनुकूल परिणाम हासिल करने के लिए आक्रामक अभियान

इसके अलावा, राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए पार्टी संगठन की जिम्मेदारी पर शाह का जोर प्रभावी शासन और चौहान के नेतृत्व वाले प्रशासन की उपलब्धियों को लोकप्रिय बनाने के महत्व को रेखांकित करता है। यह रणनीति विकासात्मक पहलों को उजागर करने और कल्याणकारी उपायों के माध्यम से जनता का समर्थन हासिल करने पर भाजपा के फोकस के अनुरूप है। कुल मिलाकर, शाह की यात्रा और उसके बाद की बैठक एकता सुनिश्चित करने, आंतरिक संघर्षों को संबोधित करने और मध्य प्रदेश में भाजपा की संभावनाओं को मजबूत करने के उनके इरादे को प्रदर्शित करती है। जैसे-जैसे राज्य का चुनाव नजदीक आ रहा है, पार्टी को चौहान के नेतृत्व के पीछे जुटना होगा, शर्मा और यादव जैसे प्रमुख नेताओं की विशेषज्ञता का लाभ उठाना होगा और अनुकूल परिणाम हासिल करने के लिए आक्रामक अभियान दृष्टिकोण अपनाना होगा।