नई दिल्ली। बीते दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था। इस वायरल वीडियो से कांग्रेस में सन्नाटा पसर गया और कई कांग्रेसी नेताओं की तो नींद उड़ गई थी। हम जिस वीडियो की बात कर रहे हैं, वो कोई और नहीं, बल्कि पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा का था, जिसमें उन्होंने यूट्यूबर शकील अहमद को इंटरव्यू देते हुए उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के बारे में कुछ ऐसी बातें कहीं थी जिसके बाद सारे के सारे कांग्रेसी सकपका गए थे। दरअसल, नुसरत मिर्जा ने यूट्यूबर शकील अहमद को दिए इंटरव्यू में कहा था कि हामिद अंसारी ने उन्हें कई बार भारत आने न्योता दिया था, जिसके बाद वे कट्टरपंथी संगठन आईएसआई के लिए खुफिया जानकारियां जुटा पाए थे। उन्होंने यह भी कहा था कि अंसारी की मदद से ही वे आईएसआई के लिए जानकारी जुटा पाते थे।
इससे तो ये साफ समझा जा सकता है कि पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत सीझे तौर पर ये कहना चाह रहे हों कि आईएसआई के लिए जानकारी जुटाने में हामिद अंसारी उनकी मदद किया करते थे। पाकिस्तानी पत्रकार द्वारा किए गए इस सनसनीखेज खुलासे के बाद पूरे देश में बवाल मचा हुआ है। हालांकि इस मामले पर हामिद अंसारी ने कहा कि मुझे फंसाने की कोशिश की जा रही है। मेरे ऊपर जिस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं, वो पूरी तरह से निराधार हैं, उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के द्वारा मुझे फंसाने की कोशिश की जा रही है। हामिद अंसारी ने तो ये तक कहा है कि मैंने किसी भी पाकिस्तानी पत्रकार को भारत आने का न्योता नहीं दिया था। मेरे ऊपर लगाए गए आरोप सरासर झूठे हैं।
अब इस मामले में ऑल इंडिया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ आदिश अग्रवाल ने कांग्रेस और हामिद अंसारी को लेकर नया खुलासा किया है। एक न्यूज एजेंसी की मानें तो अग्रवाल ने ये कहा है कि हामिद अंसारी और कांग्रेस ने आतंकवाद पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के बारे में खुलासा नहीं किया। ऐसे में सरकार को इस मामले की जांच शुरू करनी चाहिए क्योंकि ये राष्ट्रीय की सुरक्षा और जासूसी से जुड़ा मामला है।
अग्रवाल ने क्या लगाए हैं आरोप?
अग्रवाल का कहना है कि साल 2009 के एक सम्मेलन में हामिद अंसारी के साथ ही दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला और अन्य मुस्लिम नेता शामिल हुए थे। अग्रवाल ने ये आरोप लगाए हैं कि हामिद अंसारी और उनके दोस्त जामा मस्जिद यूनाइटेड फोरम के सम्मेलन में पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा के साथ दोस्ती बढ़ा रहे थे। अग्रवाल ने कहा, ‘हामिद अंसारी और जयराम रमेश और अन्य कांग्रेस पदाधिकारियों द्वारा दिए गए बयान स्पष्ट रूप से विकृत, पूरी तरह से असत्य और निंदनीय हैं। यह आश्चर्यजनक है कि देश का एक पूर्व उपराष्ट्रपति गुप्त गतिविधियों में लिप्त हो जाता है और फिर जनता को भटकाने के लिए एक और असंबद्ध घटना के पीछे छिपने की कोशिश करता है। सच्चाई को उजागर करने के लिए, मैं दोहराता हूं कि हामिद अंसारी और उनके दोस्त जामा मस्जिद यूनाइटेड फोरम के सम्मेलन में नुसरत मिर्जा के साथ दोस्ती कर रहे थे।’
सवालों और पूछताछ से बचने के लिए बयान दिए गए
इसके आगे अग्रवाल ने ये भी कहा कि हामिद अंसारी ने सवालों और पूछताछ से बचने के लिए न्यायविदों के सम्मेलन को छुपाने के लिए कई बयान दिए। साल 2010 में हामिद अंसारी ने आतंकवाद और मानवाधिकार पर न्यायविदों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लिया लेकिन नुसरत मिर्जा न तो आमंत्रित थे और न ही उन्होंने इसमें भाग लिया था। यहां तक कि नुसरत मिर्जा ने भी अपने साक्षात्कार में इस सम्मेलन को लेकर उल्लेख नहीं किया।
मिर्जा को नहीं बुलाने से नाराज हो गए थे अंसारी!
अग्रवाल ने आगे कहा, ‘जब सम्मेलन आयोजित हो रहा था तो अंसारी को उसमें भाग लेने के लिए हामिद अंसारी को भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में निमंत्रण भेजा गया। उस समय अशोक दीवान, जो उपराष्ट्रपति के सचिवालय के निदेशक के रूप में कार्यरत थे, ने इसकी जानकारी मुझे दी थी कि उपराष्ट्रपति ये चाहते हैं कि पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा को सम्मेलन में बुलाया जाए। हालांकि, हम इस अनुरोध को स्वीकार नहीं कर सके क्योंकि मिर्जा पाकिस्तानी मीडिया से जुड़े थे और हमने पाकिस्तान से जजों या वकीलों को इसके लिए आमंत्रित नहीं किया था।’ इसके आगे अग्रवाल ने कहा कि जब अशोक दीवान को इस बारे में जानकारी लगी कि उपराष्ट्रपति के आग्रह के बावजूद मिर्जा को आमंत्रित नहीं किया गया तो उन्होंने सम्मेलन से एक दिन पहले मुझे फोन किया और अपनी नाराजगी जताई। अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने मुझे ये भी बताया कि हामिद अंसारी को बुरा लगा है और अब वो इस उद्घाटन समारोह में केवल बीस मिनट के लिए शामिल होंगे, जबकि वो पहले एक घंटे के लिए कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले थे।