
नई दिल्ली। फेक न्यूज पर लगाम कसने के लिए मोदी सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। इस हफ्ते सरकार ने आईटी नियम में संशोधन का मसौदा प्रस्ताव जारी किया है। इस मसौदा प्रस्ताव के मुताबिक फेक के तौर पर चिन्हित किसी भी सूचना को सरकार इंटरनेट मीडिया के प्लेटफॉर्मों पर प्रसारित करने की मंजूरी नहीं देगी। आईटी सूचना प्लेटफॉर्मों को भी इसके लिए जवाबदेह बनाया जाएगा। सरकार अगर किसी खबर या सूचना को फेक बताती है, तो उस प्लेटफॉर्म को उसे तुरंत हटाना पड़ेगा। फर्जी खबरों और सूचना पर इससे प्रभावी रोक लग सकेगी। सरकारी सूत्रों के मुताबिक सरकार ये नियम काफी विचार के बाद ला रही है।
सूत्रों के मुताबिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर फेक न्यूज की भरमार है। कई यूजर्स के अकाउंट और यूट्यूब चैनलों पर भी सरकार ने इसी वजह से पिछले दिनों गाज गिराई है। फेक न्यूज पर अब प्रभावी रोक के लिए आईटी नियमों में संशोधन करने की तैयारी है। सरकार ने इसके लिए जिस मसौदा प्रस्ताव को जारी किया है, उसमें कहा गया है कि प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) या सरकार की तरफ से तथ्यों की जांच के लिए किसी एजेंसी या किसी विभाग की तरफ से फेक न्यूज या जानकारी को चिन्हित किया जाएगा। इसके बाद संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से उसे हटाना होगा। सोशल मीडिया इंटरमीडियरी को ये सुनिश्चित भी करना होगा कि ऐसी फेक जानकारी या खबर होस्ट, डिस्प्ले, अपलोड, मॉडिफाई, पब्लिश, ट्रांसमिट, स्टोर, अपडेट या शेयर न किए जा सकें।
EGI is deeply concerned by amendment to IT Rules 2021 made by MEITY, giving authority to PIB to determine veracity of news reports, and directing online intermediaries and social media platforms to take down content deemed as ‘fake’. Guild feels this is akin to censorship. pic.twitter.com/uy49cOwTcT
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) January 18, 2023
इस बीच, सरकार के फेक न्यूज पर लगाम कसने का विरोध भी शुरू हो गया है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इन प्रस्तावों पर आपत्ति जताई है। एडिटर्स गिल्ड ने सरकार से नए नियमों और संशोधन को हटाने का आग्रह किया है। गिल्ड ने इसे सेंसरशिप का तरीका करार दिया है। एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि इससे प्रेस की आजादी कमजोर होगी। उसने कहा है कि सरकार को प्रेस, मीडिया संगठनों और दूसरे हितधारकों से इस बारे में चर्चा करनी चाहिए।