नई दिल्ली। भारत ने सिंधु जल संधि में संशोधन की मांग करते हुए पाकिस्तान को नोटिस भेजा है। भारत ने अपने नोटिस में कहा है कि मौजूदा हालात और जनसांख्यिकी में बदलाव की स्थिति को देखते हुए दशकों पहले की गई जल संधि में बदलाव की जरूरत है। भारत के इस कदम से पाकिस्तान के सामने बहुत ही बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। भारत और पाकिस्तान के बीच सितम्बर 1960 को सिंधु जल समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
India notifies Pakistan to amend Indus water treaty
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— ANI Digital (@ani_digital) September 18, 2024
समाचार एजेंसी एएनआई की खबर के मुताबिक भारत ने 30 अगस्त, 2024 को पाकिस्तान को एक औपचारिक नोटिस दिया है, जिसमें सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के अनुच्छेद XII (3) के तहत सिंधु जल संधि की समीक्षा और संशोधन की मांग की गई है। भारत ने नोटिस में पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने का मामला भी उठाया है। भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को फटकार लगाते हुए कहा है कि पड़ोसी देश लगातार हमारी उदारता का फायदा उठा रहा है। भारत का कहना है कि अपने उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा के विकास में तेजी लाने की आवश्यकता है जिसके लिए सिंधु जल संशोधन अब समय की मांग है।
सिंधु जल समझौता
भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच 1960 में सिंधु जल समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत तीन पूर्वी नदियों रावी, सतलुज, और ब्यास का पानी का उपयोग भारत करेगा जबकि और तीन पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम, और चिनाब का पानी पाकिस्तान को मिलेगा। सिंधु नदी को पाकिस्तान की जीवन रेखा कहा जाता है। भारत को रन-ऑफ-द-रिवर परियोजनाओं से बिजली उत्पादन का अधिकार है। जबकि पाकिस्तान कई बार इन परियोजनाओं पर आपत्ति जता चुका है। पाकिस्तान की आपत्ति की वजह से भारत में इन नदियों का जल प्रवाह भी प्रभावित हुआ है। इन्हीं सब कारणों को देखते हुए भारत ने सिंधु जल संधि में संशोधन की मांग उठाई है।