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Action On Khalistanis: विदेश में भारत के खिलाफ हिंसा कर रहे खालिस्तानी आतंकियों की नहीं खैर, मोस्ट वांटेड लिस्ट तैयार

राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने ऐसे 21 खालिस्तानी आतंकियों के नाम अपनी मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल किए हैं। ये खालिस्तानी आतंकी अमेरिका, कनाडा और पाकिस्तान में बैठकर भारत विरोधी गतिविधियां कर रहे हैं। इनका इरादा भारत को अस्थिर कर अलग खालिस्तान देश बनाना है। अब इन आतंकियों की खैर नहीं है।

नई दिल्ली। विदेश में बैठकर भारत के खिलाफ हिंसा वाली गतिविधियां कर रहे खालिस्तानी आतंकियों की अब खैर नहीं है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने ऐसे 21 खालिस्तानी आतंकियों के नाम अपनी मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल किए हैं। ये खालिस्तानी आतंकी अमेरिका, कनाडा और पाकिस्तान में बैठकर भारत विरोधी गतिविधियां कर रहे हैं। इनका इरादा भारत को अस्थिर कर अलग खालिस्तान देश बनाना है। खालिस्तानी आतंकियों को पाकिस्तान से तो भरपूर समर्थन मिल ही रहा है, कनाडा की सरकार भी इन तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं कर रही। यहां तक कि कनाडा के पीएम जस्टिस ट्रूडो ने इंदिरा गांधी की हत्या की खालिस्तानी आतंकियों की झांकी को अभिव्यक्ति की आजादी भी बता दिया है।

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एनआईए ने अपनी वेबसाइट में जिन आतंकियों की जानकारी दी है, उनमें लखबीर सिंह लंडा, मनदीप सिंह, सतनाम सिंह और अमरीक सिंह जैसे बड़े खालिस्तानी भी शामिल हैं। लखबीर सिंह लंडा पाकिस्तान में रहता है। बाकी आतंकी अमेरिका और कनाडा में बसे हुए हैं। एनआईए की टीमें इन आतंकियों को अमेरिका से प्रत्यर्पित कराने के लिए वहां जाने वाली हैं। अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में खालिस्तानी आतंकियों ने बीते दिनों भारत के कौंसुलेट पर हमला भी किया था। इस हमले के फुटेज की भी एनआईए जांच कर रही है। अमेरिका के अलावा कनाडा और ब्रिटेन में बसे खालिस्तानी आतंकियों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है।

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अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भारत के कौंसुलेट और उच्चायोग पर पिछले कुछ समय से खालिस्तानी आतंकी और उपद्रवी लगातार प्रदर्शन और हमले कर रहे हैं। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने ऐसे खालिस्तानी तत्वों पर कार्रवाई का भरोसा भारत को दिया है। वहीं, ब्रिटेन की सरकार से भी भारत ने खालिस्तानी आतंकियों पर कार्रवाई के लिए कहा है। जबकि, कनाडा की सरकार इस ओर से आंखें मूंदे हुई है। भारत के खिलाफ खालिस्तानी आतंकियों की गतिविधियां किसान आंदोलन के वक्त से लगातार बढ़ी हैं।