![8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए 8वां वेतन आयोग आने की उम्मीद कम, अब Aykroyd फॉर्मूला से तय हो सकती है सैलरी](https://hindi.newsroompost.com/wp-content/uploads/2022/08/central-govt-employees-1-1000x600.jpg)
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के कर्मचारियों और बीते दो साल में रिटायर हुए पेंशनर्स को 8वें वेतन आयोग का इंतजार है, लेकिन शायद मोदी सरकार अब वेतन आयोग गठित न करे। सरकार ने संकेत दिए हैं कि वो कर्मचारियों के काम के आधार पर उनकी सैलरी बढ़ाने के पक्ष में है। इसके लिए सरकार ने Aykroyd फॉर्मूला पर काम करने की बात कही है। यानी परफॉर्मेंस के आधार पर कर्मचारियों के भत्तों और वेतन की समीक्षा की जाएगी। इससे कर्मचारियों और पेंशनरों को बड़ा झटका लगने के आसार हैं। बता दें कि केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों को मिलने वाले लाभ को तय करने के वास्ते हर 10 साल में वेतन आयोग का गठन किया जाता है। आयोग की सिफारिश पर केंद्रीय कर्मचारियों की तनख्वाह बढ़ाई जाती है।
पिछली बार 7वां वेतन आयोग आया था। जबकि, पहला वेतन आयोग साल 1946 में बना था। अब सरकार वेतन आयोग से पल्ला झाड़ने के मूड में दिख रही है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बीते सोमवार को संसद में इसके संकेत भी दिए। उन्होंने कहा कि फिलहाल 8वां वेतन आयोग गठित करने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है। उन्होंने इस दावे का खंडन हालांकि किया कि आठवां वेतन आयोग नहीं बनेगा। चौधरी ने कहा कि अभी इस पर सरकार ने कुछ नहीं सोचा है। उनसे जब सदस्यों ने ये पूछा कि महंगाई के मामले में सरकार क्या कर रही है, तो चौधरी ने कहा कि इसके लिए कर्मचारियों और पेंशनरों को महंगाई भत्ता दिया जाता है। इसे ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स के आधार पर तय किया जाता है।
इससे पहले भी पंकज चौधरी ने कहा था कि वेतन आयोग की जगह पे मैट्रिक्स की समीक्षा के लिए नई व्यवस्था बननी चाहिए। इसके लिए Aykroyd फॉर्मूला के आधार पर सभी भत्तों और वेतन की समीक्षा की जा सकती है। इस तरीके में कर्मचारियों की सैलरी को महंगाई, कॉस्ट ऑफ लिविंग और कर्मचारी की परफॉर्मेंस से जोड़ा जाएगा। इन सब चीजों को देखने के बाद ही सैलरी में इजाफा होगा। इससे सभी वर्ग के कर्मचारियों को फायदा होगा। 7वें वेतन आयोग की अपनी सिफारिश में जस्टिस माथुर ने कहा था कि हम पे स्ट्रक्चर को Aykroyd फॉर्मूले के तहत तय करना चाहते हैं। इसमें कॉस्ट ऑफ लिविंग को भी ध्यान में रखा जाता है। यह फॉर्मूला वॉलेस रुडेल आयकरॉयड ने दिया था।