newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Supreme Court On Divorce: तलाक के लिए अब 6 महीने का नहीं करना होगा इंतजार, कुछ शर्तों के साथ SC रद्द कर सकता है शादी

Supreme Court On Divorce: कोर्ट ने मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि तलाक के लिए जरूरत पड़ने पर कोर्ट अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल कर सकता है।कोर्ट ने कहा है कि अगर दंपत्ति के रिश्ते में सुधार की गुंजाइश न बची हो तो

नई दिल्ली।सुप्रीम कोर्ट ने विवाह विच्छेद यानी तलाक को लेकर अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने तलाक पर अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि जरूरी नहीं है कि तलाक के लिए 6 महीने का इंतजार किया जाए, अगर रिश्ते में साथ रहने की गुंजाइश न बची हो तो तलाक 6 महीने से पहले भी लिया जा सकता है। बता दें कि पहले विवाह विच्छेद के लिए दंपत्ति को रिश्ते को एक मौका देते हुए और काउंसलिंग के लिए 6 महीने का इंतजार करना होता था लेकिन अब कोर्ट ने इस अवधि को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट के नए फैसले के मुताबिक तलाक के लिए अवधि को पूरा करना जरूरी नहीं है, साथ ही फैमिली कोर्ट जाना भी जरूरी नहीं।

SC

6 महीने का इंतजार जरूरी नहीं

कोर्ट ने मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि तलाक के लिए जरूरत पड़ने पर कोर्ट अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल कर सकता है।कोर्ट ने कहा है कि अगर दंपत्ति के रिश्ते में सुधार की गुंजाइश न बची हो तो 6 महीने की अवधि का भी इंतजार करने की जरूरत नहीं है। कुछ शर्तो के साथ आपसी सहमति से तलाक लिया जा सकता है। इसके लिए कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत अपनी अपरिहार्य शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है। इस अनुच्छेद के तहत कोर्ट के पास कुछ विशेष शक्तियां हैं, जिन्हें जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

DIVORCE1

शर्तों के साथ होगा तलाक

ये फैसला न्यायमूर्ति ए एस ओका,न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी ने सुनाया है। कोर्ट ने ये फैसला  2014 के दंपत्ति के केस को लेकर सुनाया है। जिन्हें कोर्ट ने अपनी शादी को दोबारा मौका देने की सलाह दी थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि समाज में परिवर्तन जरूरी है लेकिन समाज जल्दी से खुद को बदलने के लिए तैयार नहीं कर पाता है। शर्तो पर बात करते हुए कोर्ट ने कहा कि हालांकि इसके लिए कुछ शर्ते और नियम भी मान्य होंगे। जिसमें गुजारा भत्ता, रखरखाव, बच्चों की जिम्मेदारी और संपत्ति शामिल है। कोर्ट के इस फैसले ने उन लोगों की राहें आसान कर दी हैं, जिनका रिश्ता टूटने की कगार पर पहुंच चुका है या जो तलाक से पहले ही अलग रह रहे हैं।