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New Rule In Ram Temple Ayodhya: अयोध्या में भगवान रामलला के मंदिर में अब…, दर्शन करने जा रहे हैं तो आपके लिए है ये खबर

New Rule In Ram Temple Ayodhya: अयोध्या में भगवान रामलला के मंदिर में इस साल 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। प्राण प्रतिष्ठा के अगले दिन से ही आम लोगों के लिए मंदिर के कपाट खोले गए थे। तबसे रोज लाखों भक्त रोज भगवान रामलला के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। भीषण गर्मी के दौर में भी भगवान रामलला के दर्शन करने भक्त आ रहे हैं।

अयोध्या। अयोध्या में भगवान रामलला के मंदिर में हर रोज लाखों की तादाद में भक्त दर्शन करने पहुंच रहे हैं। अब मंदिर की व्यवस्था देखने वाले श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रामलला के दर्शन करने आ रहे भक्तों के लिए नया फैसला किया है। इस फैसले को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। चलिए आपको बताते हैं कि राम मंदिर में भक्तों के लिए नया नियम क्या बनाया गया है।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने फैसला किया है कि भगवान रामलला के सभी भक्तों से एक समान व्यवहार होगा। इसके लिए तय हुआ है कि रामलला के पुजारी किसी भी श्रद्धालु को अब चंदन का टीका नहीं लगाएंगे। इसके अलावा भगवान रामलला को भोग के तौर पर जो चरणामृत अर्पण किया जाता है, वो भी भक्तों को नहीं दिया जाएगा। अब तक तमाम भक्त भगवान रामलला के पुजारियों को भी दान देते थे, लेकिन इस पर भी रोक लगाई गई है। अब दान पात्र में ही सभी तरह के दान दिए जा सकेंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ताजा नियम पर भगवान रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि हर मंदिर में भक्तों को चंदन लगाया जाता है और चरणामृत दिया जाता है। उन्होंने कहा कि रामानंदी शास्त्रों में भी चरणामृत देने के लिए कहा गया है, लेकिन राम मंदिर में इस पर रोक लगाई गई है।

अयोध्या में भगवान रामलला के मंदिर में इस साल 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। प्राण प्रतिष्ठा के अगले दिन से ही आम लोगों के लिए मंदिर के कपाट खोले गए थे। तबसे रोज लाखों भक्त रोज भगवान रामलला के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। भीषण गर्मी के दौर में भी भगवान रामलला के दर्शन करने भक्त आ रहे हैं। भगवान रामलला के मंदिर से पहले यहां बाबरी मस्जिद थी। जिसे 6 दिसंबर 1992 को उग्र कारसेवकों ने ढहा दिया था। फिर मामला सुप्रीम कोर्ट में चला। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2019 में राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था। जिसके बाद भगवान रामलला के मंदिर निर्माण का काम शुरू हुआ था।