नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्ति का अधिग्रहण कर जनता में बांटने यानी पुनर्वितरण की 16 याचिकाओं पर अहम फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस ने कहा कि 3 फैसले हैं। एक उन्होंने खुद, दूसरा जस्टिस नागत्ना और तीसरा जस्टिस सुधांशु धूलिया ने लिखा है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जस्टिस नागरत्ना ने आंशिक तौर पर सहमति जताई है। जबकि, जस्टिस धूलिया ने असहमति का फैसला लिखा है।
#BREAKING| Not All Private Property Is ‘Material Resource Of Community’ Which State Must Equally Distribute As Per Article 39(b) : Supreme Court |@TheBeshbaha #SupremeCourt https://t.co/5l0xm4x0LF
— Live Law (@LiveLawIndia) November 5, 2024
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बहुमत से फैसला सुनाते हुए कहा कि बेंच का निष्कर्ष है कि संजीव कोक का रागनाथ रेड्डी मामले में अल्पमत की राय पर भरोसा गलत है। उन्होंने बहुमत का फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी शख्स के मालिकाना वाला हर संसाधन सिर्फ इसलिए भौतिक संसाधन होने की पूर्ति नहीं करता, क्योंकि वो समुदाय की जरूरत को पूरा करता है। चीफ जस्टिस ने कहा कि बेंच की बहुमत से राय है कि संविधान का अनुच्छेद 31सी उस सीमा तक बरकरार है, जिस सीमा तक केशवानंद भारती मामले में बरकरार रखा गया। उन्होंने ये भी कहा कि संविधान बेंच का निष्कर्ष है कि असंधोखित अनुच्छेद 31सी लागू रहेगा। यानी कोर्ट ने साफ कह दिया कि हर निजी संपत्ति पुनर्वितरण के दायरे में नहीं आ सकती। वहीं, जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि वो चीफ जस्टिस के बहुमत वाले फैसले के पहले बिंदु से सहमत हैं। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि बदलते समाज में संविधान की लचीली व्याख्या की जानी चाहिए। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति में बदलने के 5 तरीके हैं। इनका राष्ट्रीयकरण किया जाए। इनका अधिग्रहण हो। कानून बनाया जाए। सरकार ऐसी संपत्तियों को खरीदे या संपत्ति को उसका मालिक दान दे।
चीफ जस्टिस ने संविधान के जिस अनुच्छेद 31सी का जिक्र किया, उसमें कहा गया है कि संविधान के भाग 4 में सरकार के लक्ष्यों का समर्थन करने वाले कानून सिर्फ इस वजह से रद्द नहीं होंगे, क्योंकि वे अनुच्छेद 14 या अनुच्छेद 19 में अधिकारों के खिलाफ हैं। यानी देश के कल्याण के लइए सरकारी नीतियों का पालन करने वाले कानून रद्द नहीं हो सकते। सुप्रीम कोर्ट का निजी संपत्ति के पुनर्वितरण पर आया फैसला इसलिए भी अहम है, क्योंकि इस साल जब लोकसभा चुनाव हुए थे, उस वक्त संपत्तियों के पुनर्वितरण का मुद्दा बहुत गर्माया था। कांग्रेस के नेता और राहुल गांधी के करीबी सैम पित्रोदा ने संपत्ति के पुनर्वितरण की वकालत कर दी थी। जिसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के नेताओं ने ये मुद्दा बनाया था कि अगर कांग्रेस और विपक्ष की सरकार केंद्र में बनी, तो वो आम लोगों की संपत्ति और यहां तक कि महिलाओं का मंगलसूत्र भी ले लेगी। वैसे अगर संविधान के अनुच्छेद 39(बी) की बात करें, तो इसमें कहा गया है कि समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस तरह से वितरित हो, ताकि आम हित की पूर्ति हो सके। यानी लोगों की इससे भलाई हो सके।