नई दिल्ली। चंद्रयान-3 की मौजूदा स्थिति को देखकर यह कहने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि हमने पुरानी गलतियों से सीखा है और इसी सीख का सहारा लेकर हम आगामी दिनों में जो इतिहास रचने जा रहे हैं, वो महज भारतीय वैज्ञानिकों को ही नहीं, बल्कि समस्त विश्व के वैज्ञानिक बंधुओं को प्रेरित करेगा। जी हां… बिल्कुल…आप जो भी पढ़ रहे हैं, सही पढ़ रहे हैं। दरअसल, खबर है कि चंद्रयान-3 से लैंडर और विक्रम अलग हो चुका है, जो कि इस मून मिशन के लिए काफी निर्णायक माना जा रहा है। यह स्थिति ना महज वैज्ञानिक समुदाय अपितु समस्त देशवासियों के लिए गर्व का पल है।
Chandrayaan-3 Mission:
‘Thanks for the ride, mate! 👋’
said the Lander Module (LM).LM is successfully separated from the Propulsion Module (PM)
LM is set to descend to a slightly lower orbit upon a deboosting planned for tomorrow around 1600 Hrs., IST.
Now, 🇮🇳 has3⃣ 🛰️🛰️🛰️… pic.twitter.com/rJKkPSr6Ct
— ISRO (@isro) August 17, 2023
अब चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को चांद के सतह में उतरने के लिए महज 100 किलोमीटर की यात्रा करनी है। वहीं, अब 18 और 20 अगस्त को होने वाले डीऑर्बिटिंग के जरिए विक्रम लैंडर को 30 किलोमीटर वाले पेरील्यून और 100 किलोमीटर वाले एपोल्यून ऑर्बिट में डाला जाएगा। ध्यान दें कि अब तक की यात्रा प्रोपल्शन मॉड्यूल से संपन्न हुई है। अब बाकी की यात्रा लैंडर को खुद करनी होगी।
इसके अलावा प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद विक्रम लैंडर गोलाकार ऑर्बिट में नहीं घूमेगा। वो अब अपनी ऊंचाई काम करेगा और रफ्तार भी। वहीं, उसके रेट्रोफायरिंग की जाएगी। वैज्ञानिकों की मानें तो उसकी दिशा बदल जाएगी। इसके बाद उसे उल्टी दिशा में घुमाया जाएगा। उधर, आखिरी वाला ऑर्बिट मैन्यूवर 16 अगस्त 2023 को किया गया था। चंद्रयान-3 अभी 153 km x 163 km की ऑर्बिट में है। उधर, इसरो एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने इस बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि चंद्रयान-3 को 100 या 150 किलोमीटर की गोलाकार ऑर्बिट में डालने की योजना थी। वैज्ञानिकों की मानें तो अब लैंडिंग में महज 6 दिन शेष हैं।