नई दिल्ली। मंदिरों में साईं बाबा की पूजा को लेकर एक बार फिर विवाद शुरू हो गया है। वाराणसी के प्रसिद्ध गणेश मंदिर, पुरुषोत्तम मंदिर समेत लगभग 14 मंदिरों से साईं बाबा की मूर्ति को हटा दिया गया है। इन मूर्तियों को या तो गंगा में प्रवाहित कर दिया गया है या इन्हें साईं बाबा के मंदिर में पहुंचाया गया है। सनातन रक्षक दल के द्वारा काशी के मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियों को हटाने का काम किया जा रहा है। सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा ने इसके पीछे तर्क यह दिया है कि काशी भगवान भोले बाबा की नगरी है ऐसे में यहां के मंदिरों में सिर्फ और सिर्फ सनातनी देवी देवताओं की मूर्ति स्थापित हो सकती है। अज्ञानतावश इन मंदिरों में साईं बाबा की प्रतिमा स्थापित कर दी गई जिन्हें अब हटाने का अभियान चलाया जा रहा है।
वाराणसी के मंदिरों से हटाई गई साईं की प्रतिमा
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आपको बता दें कि वैसे तो साईं बाबा के देश भर में लाखों की संख्या में भक्त हैं जो हर साल शिर्डी समेत साईं बाबा के मंदिरों में मत्था टेकने जाते हैं। लेकिन कुछ सनातन धर्माचार्य पिछले काफी समय से साईं बाबा की पूजा का विरोध कर रहे हैं। खास तौर से हिंदू मंदिरों में भगवान की प्रतिमा के साथ साईं बाबा की प्रतिमा स्थापित किए जाने का विरोध जताया जा रहा है। दिवंगत शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती भी साईं की पूजा के मुखर विरोधी थे। उन्होंने कई बार कहा था सनातन धर्म मानने वालों को साईं की पूजा नहीं करनी चाहिए।
शंकराचार्य ने कहा था कि साईं कोई भगवान नहीं थे जो उनकी पूजा की जाए बल्कि वो तो एक मुसलमान थे जो दीक्षा मांगकर अपना जीवन यापन करते थे। वहीं कुछ समय पहले ही शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी साईं बाबा की पूजा का विरोध किया था। इनके अतिरिक्त बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री, मथुरा के कथावाचक अनिरुद्धाचार्य समेत कई सनातनी साईं पूजा के खिलाफ अपनी राय रख चुके हैं।