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Now Port Blair Will Be Known As ‘Shri Vijaypuram’ : अब ‘श्री विजयपुरम’ के नाम से जाना जाएगा पोर्ट ब्लेयर, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बदला नाम

Now Port Blair Will Be Known As ‘Shri Vijaypuram’ : गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प से प्रेरित होकर आज केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है। ‘श्री विजयपुरम’ नाम हमारे स्वाधीनता के संघर्ष और इसमें अंडमान और निकोबार के योगदान को दर्शाता है।

नई दिल्ली। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर को अब ‘श्री विजयपुरम’ के नाम से जाना जाएगा। केंद्र सरकार ने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदल दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट एक्स पर इस संबंध में देश वासियों के साथ जानकारी साझा की। गृहमंत्री ने अपनी पोस्ट में लिखा, देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प से प्रेरित होकर आज केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है।

गृहमंत्री ने कहा, ‘श्री विजयपुरम’ नाम हमारे स्वाधीनता के संघर्ष और इसमें अंडमान और निकोबार के योगदान को दर्शाता है। इस द्वीप का हमारे देश की स्वाधीनता और इतिहास में अद्वितीय स्थान रहा है। चोल साम्राज्य में नौसेना अड्डे की भूमिका निभाने वाला यह द्वीप आज देश की सुरक्षा और विकास को गति देने के लिए तैयार है। यह द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी द्वारा सबसे पहले तिरंगा फहराने से लेकर सेलुलर जेल में वीर सावरकर व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा माँ भारती की स्वाधीनता के लिए संघर्ष का स्थान भी रहा है। सेलुलर जेल को काला पानी के नाम से भी जाना जाता है।

आपको बता दें कि पोर्ट ब्लयेर एक ऐतिहासिक शहर है जो दक्षिण अंडमान द्वीप पर स्थित है। पोर्ट ब्लेयर में बहुत से सैलानी छुट्टियां मनाने जाते हैं। इस दौरान वहां जाने वाले सैलानियों को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास से जुड़े कुछ पहलुओं को भी जानने का मौका मिलता है। पोर्ट ब्लेयर में सैलानियों के लिए खास तौर से लाइट ऐंड साउंड शो का आयोजन किया जाता है। इस शो में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास दिखाया जाता है। इस शो के माध्यम से लोगों को यह बताया जाता है कि स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजों ने कितनी भयंकर यातनाएं दी जाती थीं। यहां आदिवासियों द्वारा बनाई गई बांस की वस्तुएं बहुत प्रसिद्ध हैं।