नई दिल्ली। कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी की बड़ी जीत और लंबी जद्दोहद के बाद आखिरकार मुख्यमंत्री के नाम को लेकर मची सियासी खींचतान थम गई है। सिद्धारमैया को कांग्रेस ने कर्नाटक का मुख्यमंत्री बना दिया है। डी के शिवकुमार उपमुख्यमंत्री बनेंगे। इनके अलावा आठ और विधायकों को मंत्री बनाया जा रहा है। कांग्रेस की तरफ से जारी की गई सूची में मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे का नाम भी शामिल किया गया है। कर्नाटक में नई सरकार बनाए जाने के साथ ही कांग्रेस के ऊपर नए आरोप भी लगने वाले हैं। प्रियांक खड़गे को इस लिस्ट में शामिल करना कांग्रेस के ऊपर हमेशा से लगते आए परिवारवाद के आरोपों को एक बार फिर जाहिर करता है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि इससे पहले उदयपुर नव संकल्प के तहत पार्टी में बड़े सुधारों को लागू करने को लेकर तमाम निर्णय और संकल्प किए गए थे। इसमें ‘एक व्यक्ति एक पद’ और ‘एक परिवार को एक टिकट’ जैसे संकल्प शामिल हैं। लेकिन इस कर्नाटक में भारी बहुमत वाली जीत के बाद भी कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती है अपने उदयपुर संकल्प को बचाने की। लेकिन इसमें भी पार्टी ने एक लूपहोल को निकाल लिया था, संकल्प में बड़े नेताओं के बेटों को पार्टी में शामिल करने को लेकर एक रास्ता खुला रखा गया था। जिसके अनुसार ‘एक परिवार एक टिकट’ के बावजूद बड़े नेताओं के बेटों को टिकट देने के लिए पांच साल तक पार्टी में काम करना होगा जिसके बाद ही वो टिकट लेने के अधिकारी बन पाएंगे।
मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे उदयपुर संकल्प के 5 वर्ष पार्टी के भीतर कार्य करने की शर्त को पूरा करते हैं लेकिन इसके बाद भी उनके ऊपर परिवारवाद की राजनीती को लेकर तो सवाल उठेंगे ही। भारतीय जनता पार्टी ने जब 2014 लोकसभा चुनाव लड़ा तभी से परिवारवाद को लेकर कांग्रेस के ऊपर आरोप लगते रहे हैं। बीजेपी ने तो इसे सियासी मुद्दा भी बनाया था। अब एक तरफ प्रियांक खड़गे को मंत्री बनाने की तयारी है तो वहीं दूसरी तरफ चुनाव में जी जान लगा देने वाले डी के शिवकुमार को 2 पद दिए जा रहे हैं। उनके पास प्रदेश अध्यक्ष का भी पद रहेगा और इसके साथ ही उपमुख्यमंत्री का पद भी वो संभालेंगे। इस तरह पार्टी अपने ही उदयपुर संकल्प को तोड़ने जा रही है।