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Rampur LS BY Election: पार्टियां बदलीं, आजम के करीबी भी रहे, फिर उनके ही गढ़ रामपुर में सपा को दी शिकस्त, जानिए बीजेपी के घनश्याम लोधी की कहानी

सपा के कद्दावर नेता आजम खान के गढ़ में बीजेपी की जीत की गाथा लिखने वाले घनश्याम लोधी एक वक्त आजम के ही करीबी रहे हैं। उनको रामपुर की सियासत का मौसम वैज्ञानिक भी माना जाता है। लोधी हमेशा उस पार्टी के करीब रहे, जिसमें उन्होंने खुद की जीत और तरक्की देखी।

रामपुर। सपा के कद्दावर नेता आजम खान के गढ़ में बीजेपी की जीत की गाथा लिखने वाले घनश्याम लोधी एक वक्त आजम के ही करीबी रहे हैं। उनको रामपुर की सियासत का मौसम वैज्ञानिक भी माना जाता है। लोधी हमेशा उस पार्टी के करीब रहे, जिसमें उन्होंने खुद की जीत और तरक्की देखी। आजम खान के लिए चुनाव प्रभारी रहने वाले घनश्याम लोधी ने अब आजम के ही दूसरे करीबी आसिम राजा को लोकसभा उप चुनाव में पटकनी दी और आजम की सियासत को बड़ा झटका देकर जायंट किलर के तौर पर वो रामपुर में उभरे हैं।

azam asim raza ghanshyam lodhi

बीजेपी से ही सियासत की शुरुआत करने वाले घनश्याम लोधी पहले लोध नेता कल्याण सिंह के करीबी हुआ करते थे। 1999 में वो बीजेपी से पाला बदलकर बीएसपी में चले गए। फिर 2004 में कल्याण सिंह की राष्ट्रीय क्रांति पार्टी में शामिल हुए। कल्याण सिंह उस वक्त सपा के करीबी हो चुके थे। नतीजे में बरेली-रामपुर विधान परिषद सीट से घनश्याम लोधी एमएलसी भी बन गए। एमएलसी का कार्यकाल खत्म होने से पहले वो फिर बीएसपी में गए और 2009 में लोकसभा का चुनाव लड़ा। फिर 2011 में लोधी ने सपा का दामन थाम लिया। 2012 में लोधी वोटरों को सपा के पाले में घनश्याम लाए और फिर 2014 में आजम के करीबी बने। 2016 में घनश्याम लोधी सपा के टिकट पर फिर एमएलसी बन गए।

ghanshyam lodhi and azam khan

इसके बाद आजम के खराब दिन शुरू हुए, तो घनश्याम लोधी ने भी उनसे किनारा कस लिया। वो 2022 में पार्टी विरोधी गतिविधियों की वजह से सपा से निकाले गए। इसके बाद वो फिर बीजेपी में आ गए। लोधी वोटरों की अच्छी खासी संख्या को देखते हुए बीजेपी ने घनश्याम को इस बार मैदान में उतारा था और उन्होंने आजम और सपा की सियासत को रामपुर में जमींदोज करने का काम कर दिखाया।