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Ayodhya Ram Temple: भगवान राम का अब जुड़ा पाकिस्तान से कनेक्शन!, वजह जानकर हैरत में रह जाएंगे आप

भगवान रामलला के अयोध्या स्थित मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए भी तेजी से तैयारियां चल रही हैं। 22 जनवरी 2023 को पीएम नरेंद्र मोदी रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में करेंगे। राम मंदिर का भूतल और परकोटा तेजी से तैयार किया जा रहा है। ये काम 31 दिसंबर तक पूरा होना है।

अयोध्या। रामनगरी में विराजमान रामलला यानी भगवान राम के बचपन के रूप का कनेक्शन पाकिस्तान से जुड़ गया है! इसे पढ़कर आप चौंक जरूर रहे होंगे, लेकिन आगे जब आपको इस कनेक्शन का पता चलेगा, तो आप खुश भी होंगे कि तमाम दिक्कतों के बाद भी हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले किस तरह अपने देवी-देवताओं को भूलते नहीं हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर भगवान रामलला का पाकिस्तान से किस तरह कनेक्शन जुड़ा है। भगवान का पाकिस्तान से इस तरह कनेक्शन जुड़ा है कि वहां रहने वाले सिंधी समुदाय ने रामलला के लिए वस्त्र भिजवाए हैं। सिंधी समाज के लोगों ने अयोध्या आकर भगवान रामलला के लिए तैयार किए गए वस्त्र सौंप हैं। इन वस्त्रों को भगवान को अब पहनाया जाएगा। पाकिस्तान से भगवान रामलला के लिए वस्त्र आना इस वजह से भी खास है, क्योंकि वहां हिंदू समुदाय बहुत दिक्कतों में जी रहा है। पाकिस्तान में हिंदू समुदाय पर अत्याचार की खबरें आए दिन आती हैं। बावजूद इसके हिंदू धर्म में उनकी आस्था डगमगाई नहीं है।

ram temple 2

रामलला के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए भी तेजी से तैयारियां चल रही हैं। 22 जनवरी 2023 को पीएम नरेंद्र मोदी रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में करेंगे। राम मंदिर का भूतल और परकोटा तेजी से तैयार किया जा रहा है। राम मंदिर के भूतल और परकोटा बनाने का काम 31 दिसंबर तक पूरा होना है। मंदिर बनवा रहे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने फैसला किया है कि 1 जनवरी से ही प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े तमाम आयोजन शुरू कर दिए जाएंगे। इन आयोजनों में भगवान को सात समुद्रों और सात नदियों के पानी से नहलाना और अन्य अनुष्ठान होंगे। अनुष्ठान में बड़ा यज्ञ भी किया जाएगा। इसके अलावा 14 देशों के कलाकार अयोध्या में रामलला की प्रतिष्ठा के अवसर पर रामलीला का भी मंचन करेंगे।

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साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था। उसके बाद से ही राम मंदिर बनने का काम शुरू हुआ। हिंदुओं की मान्यता है कि इसी जगह भगवान राम का जन्मस्थान था और उस पर प्राचीन मंदिर बना था। कानूनी लड़ाई इस वजह से हुई, क्योंकि उस जगह बाबरी मस्जिद बनाई गई थी। वैज्ञानिक तथ्यों और एएसआई सर्वे में मिले सबूतों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि प्राचीन मंदिर को गिराकर उसके ऊपर ही मुगल बादशाह बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मस्जिद तामीर कराई थी। हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच राम जन्मस्थान को लेकर 500 साल तक विवाद की स्थिति बनी रही थी।