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Afzal Ansari: अफजाल अंसारी की संसद सदस्यता रद्द, कोर्ट ने सुनाई थी 4 साल की सजा

Afzal Ansari: ध्यान रहे कि जनप्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक, जब किसी मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद किसी राजनेता को दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है, तो उसकी संसद सदस्यता स्वत: रद्द हो जाती है। बीते दिनों इस कानून के तहत कई राजनेताओं की संसद सदस्यता रद की जा चुकी हैं, जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित अन्य नेता शामिल हैं।

नई दिल्ली। कृष्णानंद हत्या मामले में चार की सजा सुनाए जाने के बाद मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई है। इस संदर्भ में लोकसभा सचिवालय की ओर अधिसूचना भी जारी की गई है। बता दें कि बीते दिनों गाजीपुर की एमपी/एमएलए कोर्ट ने अफजाल को कृष्णानंद हत्या मामले में चार साल की सजा सुनाई थी और 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। वहीं इससे पहले उनके बड़े भाई मुख्तार अंसारी को इसी मामले में 10 साल की जेल और पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था। मुख्तार पिछले कई सालों से मऊ के बांदा जेल में बंद है। उधर, अफजाल भी कई मामलों में सजायाफ्ता है।

ध्यान रहे कि जनप्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक, जब किसी मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद किसी राजनेता को दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है, तो उसकी संसद सदस्यता स्वत: रद्द हो जाती है। बीते दिनों इस कानून के तहत कई राजनेताओं की संसद सदस्यता रद्द की जा चुकी हैं, जिसमें हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम शामिल है। अब इसी कड़ी में बसपा सांसद अफजाल अंसारी की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई है। ध्यान रहे कि इससे पहले भी मुख्तार को कई मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है। वहीं अंसारी बंधुओं को सजा सुनाए जाने के बाद कृष्णानंद के परिजनों ने न्यायपालिका के निर्णय पर हर्ष व्यक्त किया था। उन्होंने कहा था कि इस फैसले से न्यायपालिका के प्रति हमारा विश्वास बढ़ा है। हमारे मन में न्याय की उम्मीद जगी है।

बता दें कि 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि अगर किसी राजनेता को किसी मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद उसे दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है, तो उसके आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है, जिसके खिलाफ तत्कालीन यूपीए सरकार अध्यादेश भी लेकर आई थी, लेकिन राहुल गांधी ने प्रेसवार्ता में उस अध्यादेश को सरेआम फाड़ दिया था, जिसे लेकर बीजेपी सहित अन्य विपक्षी दलों की ओर से उनकी खूब आलोचना की गई थी। वहीं, अब बताया जाता है कि अगर राहुल गांधी ने उस अध्यादेश को नहीं फाड़ा होता तो उनकी सदस्यता बच सकती थी।