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Allahabad High Court: पीएम मोदी के खिलाफ ‘नरेंदर-सरेंडर’ और अपमानजनक भाषा इस्तेमाल करने वाले आरोपी को झटका, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नहीं दी राहत

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ आरोपी ने सोशल मीडिया में पोस्ट लिखा। इसमें युद्ध से विरत रहने पर उनको निशाने पर लिया। कोर्ट ने कहा कि इस पोस्ट में सरकार के मुखिया के खिलाफ दुष्टता भरी भाषा का इस्तेमाल किया गया। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा था कि आरोपी ने भावनाओं में बहकर इस पोस्ट को लिखा। इस पर कोर्ट ने कहा कि एक सीमा से ऊपर भावनाओं को मंजूरी नहीं दी जा सकती।

प्रयागराज। ये खबर कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी को पढ़नी चाहिए! इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीएम नरेंद्र मोदी के लिए हिजड़ा, डरपोक और नरेंदर सरेंडर जैसे शब्दों वाले सोशल मीडिया पोस्ट को दुष्टता भरा बताया है। आरोपी ने खुद के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दी थी। जस्टिस जेजे मुनीर और जस्टिस अनिल कुमार ने याचिका को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने पर याचिका दाखिल करने वाले को फटकार लगाई। बता दें कि आजकल राहुल गांधी भी जगह-जगह पीएम मोदी के खिलाफ ‘नरेंदर-सरेंडर’ शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ आरोपी ने सोशल मीडिया में पोस्ट लिखा। इसमें युद्ध से विरत रहने पर उनको निशाने पर लिया। कोर्ट ने कहा कि इस पोस्ट में सरकार के मुखिया के खिलाफ दुष्टता भरी भाषा का इस्तेमाल किया गया। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा था कि आरोपी ने भावनाओं में बहकर इस पोस्ट को लिखा। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि एक सीमा से ऊपर भावनाओं को मंजूरी नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा कि अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर देश के संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को घसीटा जा रहा है और इसे भावना में बहना बताया जा रहा है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साफ कहा कि इस मामले में संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आदेश नहीं दिया जा सकता। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले से तय है कि देश के संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के खिलाफ अपशब्द इस्तेमाल करने वालों को राहत नहीं मिल सकती। हालांकि, अब याचिकाकर्ता को राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट में दस्तक देने का हक है। बता दें कि पहले भी कई ऐसे मामले आ चुके हैं, जिनमें सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों पर गलत शब्दों का इस्तेमाल कर निशाना साधा गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट से ऐसे ही मामले में आरोपी को लगे झटके के बाद उम्मीद है कि लोग सरकार चला रहे लोगों पर टिप्पणी करते वक्त संयम बरतेंगे।