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Petition Against Waqf Act: हिंदुओं और गैर मुस्लिमों की संपत्ति वक्फ में जाने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई याचिका, संविधान के उल्लंघन का उठाया मुद्दा

Petition Against Waqf Act: याचिका में ये भी कहा गया है कि वक्फ ट्रिब्यूनल विवाद निपटाने में सक्षम नहीं हो सकता। दीवानी संबंधी संपत्ति विवादों का निपटारा कोर्ट में अच्छे से होता है। साथ ही याचिका में ये भी कहा गया है कि वक्फ एक्ट 1995 की धारा 8 में संपत्तियों के सर्वे और अधिसूचना जारी करने पर होने वाला खर्च सरकारी खजाने से किया जाता है। जो संविधान के अनुच्छेद 27 का उल्लंघन है।

नई दिल्ली। वक्फ संशोधन एक्ट के खिलाफ मुस्लिम संगठनों और नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की हैं। इन सबके बीच यूपी के गौतमबुद्ध नगर यानी नोएडा की निवासी पारुल खेड़ा ने भी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। पारुल खेड़ा ने वक्फ संशोधन एक्ट को चुनौती देते हुए इसे हिंदुओं व गैर मुस्लिमों के प्रति भेदभाव वाला बताया है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वो हिंदुओं और अन्य गैर मुस्लिमों की संपत्ति वक्फ बोर्ड के नोटिस, अधिसूचना और आदेश से सुरक्षित करे। यानी कोर्ट ये आदेश दे कि वक्फ एक्ट के तहत किसी भी तरह का नोटिस, नियम, आदेश या अधिसूचना हिंदुओं और गैर मुस्लिमों की संपत्ति पर लागू नहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में वक्फ एक्ट की कई धाराओं को संविधान के खिलाफ बताया गया है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि वक्फ एक्ट 1995 धर्मनिरपेक्षता और बराबरी के सिद्धांत के खिलाफ है। वक्फ बोर्डों को संपत्तियों के बारे में मिले खास अधिकार से संविधान में दिए गए समानता, धार्मिक आजादी वगैरा का उल्लंघन होता है। पारुल खेड़ा ने अपनी याचिका में कहा है कि हिंदुओं और गैर मुस्लिमों के पास अपनी धार्मिक संपत्ति को वक्फ के तौर पर शामिल करने से रोकने का कोई उपाय नहीं है। इसमें प्रभावित को सुनवाई का मौका देने और उसकी संपत्ति वक्फ में शामिल करने का विरोध करने का भी प्रावधान वक्फ एक्ट 1995 में नहीं किया गया है।

इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि वक्फ एक्ट में पब्लिक नोटिस जारी करने का प्रावधान नहीं है। वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्ति से अतिक्रमण हटाने का अधिकार है। जबकि, अन्य धार्मिक संपत्तियां रखने वालों के पास ये अधिकार नहीं है। याचिका में ये भी कहा गया है कि वक्फ ट्रिब्यूनल विवाद निपटाने में सक्षम नहीं हो सकता। दीवानी संबंधी संपत्ति विवादों का निपटारा कोर्ट में अच्छे से होता है। साथ ही याचिका में ये भी कहा गया है कि वक्फ एक्ट 1995 की धारा 8 में संपत्तियों के सर्वे और अधिसूचना जारी करने पर होने वाला खर्च सरकारी खजाने से किया जाता है। जो संविधान के अनुच्छेद 27 का उल्लंघन है। वक्फ एक्ट से संबंधित सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच 16 अप्रैल को सुनवाई करेगी।