नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 जुलाई को अचानक लद्दाख के दौरे पर पहुंचे थे। जहां उन्होंने स्थिति का जायजा लेने के साथ-साथ सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुलाकात भी की थी। पीएम मोदी चीन के साथ झड़प में घायल जवानों से भी मिले थे। इस दौरान पीएम मोदी ने जहां सेना के जवानों का हौसला बढ़ाया, वहीं चीन को बेहद सख्त संदेश देते हुए कहा था कि भारत शांतिप्रिय देश जरूर है, लेकिन कमजोर नहीं।
उन्होंने कहा था कि अब विस्तारवाद का युग समाप्त हो गया है, यह विकास का युग है। इतिहास गवाह है कि विस्तारवादी ताकतें या तो हार गई हैं या फिर पीछे हटने को मजबूर हुई हैं। हालांकि पीएम मोदी के इस दौरे के बाद ड्रैगन की बौखलाहट भी सामने आई। लेकिन पीएम मोदी की दहाड़ के आगे बेबस चीन अपने घुटने टेकने पर मजबूर हो गया। पूर्वी लद्दाख में भारत की सख्ती और जोरदार जवाब के कारण चीन के आक्रामक रुख में अब नरमी दिखने लगी है। गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने अपने स्थान से पीछे हटना शुरू कर दिया है।
लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के पास गलवन घाटी में झड़प वाली जगह से चीनी सेना 1-2 किमी पीछे हट गई है। चीनी सैनिक डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया के तहत पीछे हटी है। लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी तनाव के मद्देनजर चीन का यह कदम काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।
वहीं समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया है कि 48 घंटों तक चली गहन कूटनीतिक चर्चा, सैन्य जुड़ाव और संपर्क के चलते चीनी सैनिक पीछे हटने को तैयार हुए हैं। एनएनआई ने बताया कि इन बैठकों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लेह यात्रा हुई, जिससे चीन को एक निर्णायक और दृढ़ संदेश गया।
The disengagement of Indian & Chinese troops in Galwan, Ladakh has begun. This is a result of intense diplomatic, military engagement & contacts in the past 48 hours. Details are awaited. These meetings followed PM Modi’s visit to Leh where a decisive & firm message was sent out.
— ANI (@ANI) July 6, 2020
वहीं, भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया है कि सीमा विवाद को लेकर कोर कमांडर स्तर की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुरूप चीनी सेना ने विवाद वाले क्षेत्र से टेंट, वाहनों और सैनिकों को 1-2 किलोमीटर पीछे कर लिया है। सूत्रों ने बताया है कि चीनी भारी बख्तरबंद वाहन अभी भी गलवान नदी क्षेत्र के गहराई वाले इलाके में मौजूद हैं। हालांकि, भारतीय सेना सतर्कता के साथ स्थिति की निगरानी कर रही है।
बता दें कि 15 जून की रात दोनों देशों के जवानों के बीच खूनी संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे जबकि चीन के 40 जवान मारे गए थे।