नई दिल्ली। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया की सबसे लंबी हाईवे टनल, अटल टनल को देश को समर्पित किया। इस मौके पर टल टनल के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री मोदी सहित केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम सिंह ठाकुर, CDS जनरल बिपिन रावत, BRO महानिदेशक सहित BRO के अन्य विशिष्ट अधिकारी मौजूद रहे। ‘अटल टनल’ रोहतांग में स्थित 9.02 किलोमीटर लंबी है। ये टनल मनाली को लाहौल स्फीति से जोड़ती है। इस टनल की वजह से मनाली और लाहौल स्फीति घाटी सालों भर एक-दूसरे से जुड़े रह सकेंगे। इस टनल के ना होने से जब बर्फबारी होती थी तो लाहौल स्फीति घाटी साल के 6 महीनों तक देश के बाकी हिस्सों से कट जाती थी। 10.5 मीटर चौड़ी इस सुरंग पर 3.6 x 2.25 मीटर का फायरप्रूफ आपातकालीन निकास द्वार बना हुआ है।
इस मौके पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि, एक बहुत बड़ी बाधा लाहौल के लोगों के लिए रहती, 4 महीनों के लिए आना-जाना बंद। कोई बीमार होता तो हेलिकॉप्टर भेजा जाता। कई बार परिस्थितियां ऐसी होतीं कि रोहतांग दर्रे से ही वापिस मुड़ना पड़ता। हमने टनल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक वृहत कार्यक्रम बनाया है।
वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मौके पर कहा कि, “सामरिक दृष्टि से यह टनल बेहद महत्वपूर्ण है। सीमा पर तैनात हमारे सेना के जवानों के लिए राशन,हथियार पहुंचाने और तैनाती करने में काफी आसानी होगी। टनल जहां देश की जनता को समर्पित है वहीं हमारे सीमा की सुरक्षा करने वाले जवानों और सीमा पर रहने वाले लोगों को भी समर्पित है।”
#LIVE | PM Narendra Modi inaugurates Atal Tunnel in Rohtang, Himachal Pradesh. https://t.co/be9dCp1vbf
— Newsroom Post (@NewsroomPostCom) October 3, 2020
पीएम मोदी लाइव अपडेट्स-
हमारी सरकार के फैसले साक्षी हैं कि जो कहते हैं, वो करके दिखाते हैं। देश हित से बड़ा, देश की रक्षा से बड़ा हमारे लिए और कुछ नहीं। लेकिन देश ने लंबे समय तक वो दौर भी देखा है जब देश के रक्षा हितों के साथ समझौता किया गया।
बीते 6 वर्षों में पुरानी स्थिति को बदलने की दिशा में अभूतपूर्व प्रयास किया गया है। हिमालय क्षेत्र में, चाहे वो जम्मू-कश्मीर हो, कारगिल, लेह लद्दाख हो, उत्तराखंड हो या सिक्किम हो, अनेकों प्रोजेक्ट्स पूरे किए जा चुके हैं और दर्जनों प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम चल रहा है।
अटल जी के साथ ही एक और पुल का नाम जुड़ा है- कोसी महासेतु का। बिहार में कोसी महासेतु का शिलान्यास भी अटल जी ने ही किया था। लेकिन इसका काम भी उलझा रहा, अटका रहा। 2014 में सरकार में आने के बाद कोसी महासेतु का काम भी हमने तेज करवाया।
साल 2005 में ये आंकलन किया गया था कि ये टनल लगभग 950 करोड़ रुपये में पूरी हो जाएगी। लेकिन लगातार होने वाली देरी के कारण ये तीन गुना से भी ज्यादा, यानी करीब 3200 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद पूरी हुई है। कल्पना कीजिए कि 20 साल और लग जाते तो क्या स्थिति होती!
अटल टनल की तरह ही अनेक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स के साथ ऐसा ही व्यवहार किया गया। लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी के रूप में सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण एयर स्ट्रिप 40-45 साल तक बंद रही। क्या मजबूरी थी, क्या दबाव था?
जब विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ना हो, जब देश के लोगों के विकास की प्रबल इच्छा हो, तो रफ्तार बढ़ानी ही पड़ती है। अटल टनल के काम में भी 2014 के बाद, अभूतपूर्व तेजी लाई गई। नतीजा ये हुआ कि जहां हर साल पहले 300 मीटर सुरंग बन रही थी, उसकी गति बढ़कर 1400 मीटर प्रति वर्ष हो गई। सिर्फ 6 साल में हमने 26 साल का काम पूरा कर लिया।
एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस रफ्तार से 2014 में अटल टनल का काम हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जाकर पूरा हो पाती। आपकी आज जो उम्र है, उसमें 20 वर्ष और जोड़ लीजिए, तब जाकर लोगों के जीवन में ये दिन आता, उनका सपना पूरा होता।
साल 2002 में अटल जी ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था। अटल जी की सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया। हालात ये थी कि साल 2013-14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर का काम हो पाया था।
अटल टनल भारत के बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को नई ताकत देने वाली है। ये विश्व स्तरीय बॉर्डर कनेक्टिविटी का जीता-जागता उदाहरण है। हिमालय का हिस्सा हो, पश्चिम भारत में रेगिस्तान का विस्तार हो या दक्षिण व पूर्वी भारत का तटीय इलाका, ये देश की सुरक्षा और समृद्धि के बड़े संसाधन है।
हमेशा से यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की मांग उठती रही है।
लेकिन लंबे समय तक हमारे यहां बॉर्डर से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट या तो प्लानिंग की स्टेज से बाहर ही नहीं निकल पाए या जो निकले वो अटक गए, लटक गए, भटक गए: पीएम @narendramodi #AtalTunnel pic.twitter.com/xj15VNCRip
— BJP (@BJP4India) October 3, 2020
इस टनल से मनाली और केलांग के बीच की दूरी 3-4 घंटे कम हो ही जाएगी। पहाड़ के मेरे भाई-बहन समझ सकते हैं कि पहाड़ पर 3-4 घंटे की दूरी कम होने का मतलब क्या होता है।
इस महायज्ञ में अपना पसीना बहाने वाले, अपनी जान जोखिम में डालने वाले, मेहनतकश जवानों, इंजीनियरों और मजदूर भाई बहनों को मैं नमन करता हूं।
अक्सर लोकार्पण की चकाचौंध में वो लोग कहीं पीछे रह जाते हैं, जिनके परिश्रम से ये सब संभव हुआ है। अभेद्य पीर पंजाल को भेदकर एक बहुत कठिन संकल्प को आज पूरा किया गया है।
आज का दिन बहुत ऐतिहासिक है। आज सिर्फ अटल जी का ही सपना पूरा नहीं हुआ है। आज हिमाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों का दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है। मेरा सौभाग्य है कि मुझे आज अटल टनल के लोकार्पण का अवसर मिला है।
विशेषता
‘अटल टनल’ से रोजाना 3000 कारें, और 1500 ट्रक 80 किलोमीटर की स्पीड से निकल सकेंगे। बता दें कि समुद्र तट से ये टनल 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। ‘अटल टनल’ के बन जाने की वजह से मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई है और दोनों स्थानों के बीच सफर में लगने वाले समय में 4 से 5 घंटे की कमी आएगी।