नई दिल्ली। गुरुवार को नए संसद भवन के निर्माण के लिए शिलान्यास कार्यक्रम हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने विधिवत तौर पर इसका भूमि पूजन किया और फिर आधारशिला रखी। इस कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद सहित कई मंत्री शामिल हैं। इस दौरान सर्वधर्म प्रार्थना भी की गई, इसमें हिन्दू, सिख, ईसाई, मुस्लिम, बौद्ध, जैन एवं अन्य धर्मों के धर्मगुरु मौजूद रहे, जिन्होंने प्रार्थना की।
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पीएम मोदी ने कहा कि, हम भारत के लोग, ये प्रण करें- हमारे लिए देश के संविधान की मान-मर्यादा और उसकी अपेक्षाओं की पूर्ति, जीवन का सबसे बड़ा ध्येय होगी
पीएम मोदी ने कहा कि, हमें संकल्प लेना है… ये संकल्प हो India First का। हम सिर्फ और सिर्फ भारत की उन्नति, भारत के विकास को ही अपनी आराधना बना लें। हमारा हर फैसला देश की ताकत बढ़ाए। हमारा हर निर्णय, हर फैसला, एक ही तराजू में तौला जाए। और वो है- देश का हित सर्वोपरि।
राष्ट्र के विकास के लिए राज्य का विकास, राष्ट्र की मजबूती के लिए राज्य की मजबूती, राष्ट्र के कल्याण के लिए राज्य का कल्याण। इस मूलभूत सिद्धांत के साथ काम करने का हमें प्रण लेना है।
भारत की एकता-अखंडता को लेकर किए गए उनके प्रयास, इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की ऊर्जा बनेंगे। जब एक-एक जनप्रतिनिधि, अपना ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, अपना अनुभव पूर्ण रूप से यहां निचोड़ देगा, उसका अभिषेक करेगा, तब इस नए संसद भवन की प्राण-प्रतिष्ठा होगी।
हमारा हर फैसला राष्ट्र प्रथम की भावना से ही होना चाहिए। हमारे हर फैसले में राष्ट्रहित सर्वोपरि रहना चाहिए। राष्ट्रीय संकल्पों की सिद्धि के लिए हम एक स्वर में खड़े हों , ये बहुत जरूरी है।
Policies में अंतर हो सकता है, भिन्नता हो सकती है।
लेकिन हम Public की सेवा के लिए हैं, इस अंतिम लक्ष्य में कोई मतभेद नहीं होना चाहिए।
वाद-संवाद संसद के भीतर हों या संसद के बाहर,
राष्ट्रसेवा का संकल्प, राष्ट्रहित के प्रति समर्पण लगातार झलकना चाहिए।#NewParliament4NewIndia pic.twitter.com/9KUEjSitLy
— BJP (@BJP4India) December 10, 2020
भारत में लोकतंत्र, हमेशा से ही गवर्नेंस के साथ ही मतभेदों को सुलझाने का माध्यम भी रहा है। Differences के लिए हमेशा जगह हो लेकिन disconnect कभी न हो, इसी लक्ष्य को लेकर हमारा लोकतंत्र आगे बढ़ा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, हम गर्व से कह सकते हैं कि हमारे देश ने उन आशंकाओं को न सिर्फ गलत साबित किया, बल्कि 21वीं सदी की दुनिया भारत को अहम लोकतांत्रिक ताकत के रूप में आगे बढ़ते देख रही है
आधारशिला रखने के बाद पीएम मोदी ने कहा कि “आजादी के समय किस तरह से एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में भारत के अस्तित्व पर संदेह जताया गया था। अशिक्षा, गरीबी, सामाजिक विविधता सहित कई तर्कों के साथ ये भविष्यवाणी कर दी गई थी कि भारत में लोकतंत्र असफल हो जाएगा।”
उन्होंने कहा कि, “भारत के लिए लोकतंत्र जीवन मूल्य है, जीवन पद्धति है, राष्ट्र जीवन की आत्मा है। भारत का लोकतंत्र, सदियों के अनुभव से विकसित हुई व्यवस्था है। भारत के लिए लोकतंत्र में, जीवन मंत्र भी है, जीवन तत्व भी है और साथ ही व्यवस्था का तंत्र भी है।”
पीएम मोदी ने कहा कि, “जैसे आज इंडिया गेट से आगे नेशनल वॉर मेमोरियल ने नई पहचान बनाई है, वैसे ही संसद का नया भवन अपनी पहचान स्थापित करेगा। आने वाली पीढ़ियां नए संसद भवन को देखकर गर्व करेंगी कि ये स्वतंत्र भारत में बना है। आजादी के 75 वर्ष का स्मरण करके इसका निर्माण हुआ है।”
उन्होंने कहा कि, “पुराने संसद भवन ने स्वतंत्रता के बाद के भारत को दिशा दी, तो नया भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा। पुराने भवन में देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम हुआ, तो नए भवन में 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं पूरी की जाएंगी।”
PM ने कहा कि, “वर्षों से नए संसद भवन की जरूरत महसूस की गई है। ऐसे में हम सभी का दायित्व है कि 21वीं सदी के भारत को एक नया संसद भवन मिले। इसी कड़ी में ये शुभारंभ हो रहा है।”
पीएम मोदी ने कहा कि, “संसद के शक्तिशाली इतिहास के साथ ही यर्थाथ को स्वीकारना उतना ही आवश्यक है। ये इमारत अब करीब 100 साल की हो रही है। बीते वर्षों में इसे जरूरत के हिसाब से अपग्रेड किया गया। कई नए सुधारों के बाद संसद का ये भवन अब विश्राम मांग रहा है।”
उन्होंने कहा कि, “हमारे वर्तमान संसद भवन ने आजादी के आंदोलन और फिर स्वतंत्र भारत को घड़ने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। आजाद भारत की पहली सरकार का गठन भी यहीं हुआ और पहली संसद भी यहीं बैठी।”
पीएम ने कहा कि, “मैं अपने जीवन में वो क्षण कभी नहीं भूल सकता जब 2014 में पहली बार एक सांसद के तौर पर मुझे संसद भवन में आने का अवसर मिला था। तब लोकतंत्र के इस मंदिर में कदम रखने से पहले, मैंने सिर झुकाकर, माथा टेककर, लोकतंत्र के इस मंदिर को नमन किया था।”
पीएम मोदी ने कहा कि, “हम भारत के लोग मिलकर अपनी संसद के इस नए भवन को बनाएंगे। और इससे सुंदर क्या होगा, इससे पवित्र क्या होगा कि जब भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष का पर्व मनाए, तो उस पर्व की साक्षात प्रेरणा, हमारी संसद की नई इमारत बने।”
नए संसद भवन की आधारशिला रखने के बाद पीएम मोदी ने कहा कि, “आज का दिन बहुत ही ऐतिहासिक है। आज का दिन भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मील के पत्थर की तरह है।”
नए संसद भवन की नींव रखने का कार्यक्रम चल रहा है। टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष रतन टाटा, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश और विभिन्न धार्मिक नेता कार्यक्रम में उपस्थित हैं।
प्रधानमंत्री मोदी संसद भवन पहुंच गए हैं। सर्वधर्म प्रार्थना शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री थोड़ी देर में नए संसद भवन की आधारशिला रखेंगे।
Delhi: Prime Minister Narendra Modi at the foundation stone laying ceremony of the new Parliament building. pic.twitter.com/nGgfyhzk4U
— ANI (@ANI) December 10, 2020
इस नए संसद भवन में भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाया जाएगा। इसके लिए पूरे देश के दस्तकार और शिल्पकार अपना योगदान देंगे। इस संसद भवन का निर्माण पुराने संसद भवन से सटे प्लॉट संख्या 118 पर किया जा रहा है। इस भूमिपूजन समारोह के बाद एक सर्वधर्म प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया जाएगा। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी अपना संबोधन देंगे।
इससे पहले इसके कार्यक्रम की जानाकरी देते हुए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने बताया था कि यह निर्णय लिया गया है कि नए संसद भवन का शिलान्यास समारोह 10 दिसंबर को दोपहर 1 बजे आयोजित किया जाएगा। प्रधानमंत्री द्वारा भूमिपूजन से इस समारोह की शुरुआत होगी। इससे पहले ओम बिरला ने पीएम मोदी के आवास पर पहुंचकर उन्हें भूमि पूजन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनने के लिए आमंत्रित किया था। उन्होंने कहा कि यह पुराने संसद भवन से 17,000 वर्गमीटर बड़ा होगा। वहीं इसकी लागत को लेकर ओम बिरला ने कहा कि, इसे 971 करोड़ रुपये की लागत से 64,500 वर्गमीटर क्षेत्र में बनाया जाएगा। इसके निर्माण कार्य का ठेका टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को दिया गया है। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि डिजाइन एचसीपी डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार किया है।
ओम बिरला ने कहा कि, आजादी के 75 साल पूरे होने पर हम नए संसद भवन में दोनों सदनों के सत्र की शुरुआत करेंगे। ओम बिरला ने बताया कि नए संसद भवन में लोकसभा सदस्यों के लिए लगभग 888 सीटें होंगी तो वहीं राज्यसभा सदस्यों के लिए 326 से अधिक सीटें होंगी। ओम बिरला ने कहा कि लोकसभा हॉल की क्षमता 1224 सदस्यों की होगी।