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Election Commission: सियासी पार्टियों पर चला चुनाव आयोग का डंडा, विज्ञापन छपवाने से पहले करना होगा ये काम

चुनाव आयोग ने सभी अखबारों के संपादकों को भी इस बारे में अलग से चिट्ठी लिखी है। इसमें साफ कहा गया है कि एमसीएसी से मंजूरी मिले हुए राजनीतिक दलों के विज्ञापन ही वे प्रकाशित करें। इसके अलावा प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पत्रकारिता मानदंडों का पालन करने के लिए कहा गया है।

नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने बिना उसकी मंजूरी के अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कराने के मामले में सियासी पार्टियों पर नए नियम का डंडा चलाया है। आयोग ने पहली बार सभी पार्टियों को निर्देश दिया है कि बगैर मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति (एमसीएमसी) की मंजूरी के कोई भी विज्ञापन वे अखबारों को नहीं दे सकते। कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले आयोग ने ये कदम उठाया है। बता दें कि कांग्रेस ने कर्नाटक में बीजेपी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इसके रेट वाला विज्ञापन अखबारों में प्रकाशित कराया था। बीजेपी ने इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की थी। जिसके बाद आयोग ने नया फैसला किया है।

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चुनाव आयोग ने सभी अखबारों के संपादकों को भी इस बारे में अलग से चिट्ठी लिखी है। इसमें साफ कहा गया है कि एमसीएसी से मंजूरी मिले हुए राजनीतिक दलों के विज्ञापन ही वे प्रकाशित करें। इसके अलावा प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पत्रकारिता मानदंडों का पालन करने के लिए कहा गया है। चुनाव आयोग ने संपादकों से कहा है कि उनके अखबारों में विज्ञापनों समेत पार्टियों से जुड़े सभी कंटेंट के लिए वे ही जिम्मेदार माने जाएंगे। अगर जिम्मेदारी से इनकार किया जाता है, तो इसकी जानकारी आयोग को पहले से देनी होगी।

election commission of india

इसके अलावा चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक पार्टियों को एक परामर्श भी जारी किया है। इसके तहत शिष्टता से चुनाव प्रचार अभियान करने को कहा गया है। पार्टियों से चुनाव आयोग ने कहा है कि आपत्तिजनक और भ्रम वाले विज्ञापन चुनाव प्रक्रिया को दूषित करते हैं। इससे हर हाल में बचा जाना चाहिए। सभी दलों और प्रत्याशियों से चुनाव आयोग ने कहा है कि वो संबंधित विज्ञापन को दो दिन पहले एमसीएमसी को दें। ताकि उनपर गौर कर मंजूरी दी जा सके। बता दें कि कर्नाटक में 10 मई को वोटिंग होनी है। आज शाम 5 बजे से प्रचार थम जाएगा।