नई दिल्ली। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने गत रविवार को गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार, प्रशस्ती पत्र और एक करोड़ रुपए की राशि देने का ऐलान किया था। यह ऐलान गीता प्रेस के 100 वर्ष पूरे होने पर किया गया है। इसके बाद पीएम मोदी से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ तक ने ट्वीट कर गीता प्रेस को बधाई दी। लेकिन कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर इसका विरोध किया। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर में गीता प्रेस को प्रदान किया गया है जो इस वर्ष अपनी शताब्दी मना रहा है। अक्षय मुकुल द्वारा इस संगठन की 2015 की एक बहुत ही बेहतरीन जीवनी है जिसमें वह महात्मा के साथ इसके तूफानी संबंधों और उनके राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चल रही लड़ाइयों का पता लगाता है। यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।
The Gandhi Peace Prize for 2021 has been conferred on the Gita Press at Gorakhpur which is celebrating its centenary this year. There is a very fine biography from 2015 of this organisation by Akshaya Mukul in which he unearths the stormy relations it had with the Mahatma and the… pic.twitter.com/PqoOXa90e6
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 18, 2023
इस तरह से कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने उक्त मसले पर सियासत शुरू कर दी है, जिस पर अब बीजेपी के वरिष्ठ नेता और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया है। उन्होंने इस पूरे मसले पर जयराम रमेश को जवाब देते हुए कहा कि कर्नाटक में मिली चुनावी जीत के घमंड में चूर होकर कांग्रेस अब भारतीय संस्कृति पर खुला प्रहार कर रही है। वह चाहे धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करना हो या फिर गीता प्रेस की आलोचना करना; भारत की जनता निश्चित रूप से दोगुनी शक्ति के साथ कांग्रेस के ऐसे प्रयासों को नाकाम करेगी। उन्होंने यह ट्वीट हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में किया है, ताकि अपने विचार से सभी लोगों को अवगत करा सकें। वहीं, आपको बता दें कि इस पूरे मसले पर शुरू हुई सियासत के बाद गीता प्रेस ने ऐलान किया है कि वह एक करोड़ रुपए की राशि नहीं लेगी सिर्फ प्रशस्ती पत्र ही प्राप्त करेगी। गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित करने के ऐलान के बाद यह सियासत शुरू हुई है।
कर्नाटक में मिली चुनावी जीत के घमंड में चूर होकर कांग्रेस अब भारतीय संस्कृति पर खुला प्रहार कर रही है।
वह चाहे धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करना हो या फिर गीता प्रेस की आलोचना करना; भारत की जनता निश्चित रूप से दोगुनी शक्ति के साथ कांग्रेस के ऐसे प्रयासों को नाकाम करेगी। https://t.co/pIximIAZhY
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) June 19, 2023
क्या है गीता प्रेस
वहीं, बात अगर गीता एक्सप्रेस की करें, तो यह दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है। इसकी स्थापना गीता को प्रकाशित करने के मकसद से साल 1923 में हुई थी। गीता प्रेस ने अभी तक 14 भाषाओं में कुल 41 करोड़ से भी अधिक प्रतियां प्रकाशित की हैं। जिसमें 16 करोड़ से भी अधिक श्रीमद् गीता शामिल हैं। गीता प्रेस के इस पावन कार्य में अनेकों लोग सहर्ष आर्थिक योगदान भी देते हैं।
शांति गांधी पुरस्कार क्या है?
वहीं, शांति गांधी पुरस्कार की शुरुआत 1995 में भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया था। महात्मा गांधी द्वारा प्रतिपादित आर्दशों को श्रद्धांजलि के रूप में व्यक्त करने के लिए उक्त पुरस्कार का ऐलान किया गया था। यह पुरस्कार भाषा, लिंग, राज्य जैसे मुद्दों की परवाह किए बगैर हर व्यक्ति के लिए खुले हुए हैं, लेकिन इस बीच जिस तरह से इस पुरस्कार को लेकर कांग्रेस की ओर से सियासी बवाल खड़ा कर दिया गया, उसका आगामी दिनों में राजनीतिक परिदृश्य में क्या कुछ असर देखने को मिलता है। यह देखना दिलचस्प रहेगा।