
नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने सरकार से जोरदार अपील की है कि वह यह सुनिश्चित करे कि सिविल सेवक और सैनिक राजनीतिक गतिविधियों से अलग रहें। यह गुहार कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र के जरिए पहुंचाई है, संदेश हमारे समाज के इन आवश्यक स्तंभों के लिए गैर-पक्षपातपूर्ण रुख बनाए रखने के महत्व को रेखांकित करता है। खड़गे ने बताया कि सरकार की विभिन्न एजेंसियां, संस्थान, हथियार और विभाग अब मोदी प्रशासन के लिए आधिकारिक “प्रवर्तकों” की भूमिका निभा रहे हैं। उनका दावा है कि कार्यप्रणाली में यह बदलाव न केवल हमारे देश की लोकतांत्रिक अखंडता पर सवाल उठाता है, बल्कि हमारे सशस्त्र बलों के राजनीतिकरण का भी खतरा है, एक ऐसा कदम जिसे हमारे लोकतंत्र और संविधान की सुरक्षा के हित में टाला जाना चाहिए।
स्थापित मानदंडों का उल्लंघन
खड़गे ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की कार्रवाइयां 1964 के केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमों का उल्लंघन करती हैं, जो स्पष्ट रूप से किसी भी सरकारी कर्मचारी को राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने से रोकती हैं। जबकि लोक सेवकों ने सूचना प्रसारित करना, उपलब्धियों का जश्न मनाना और उपलब्धियों को गिनाना शुरू कर दिया है, इन कार्यों को अनुचित माना जाता है।
मौजूदा सरकार की मार्केटिंग गतिविधियों के लिए विभिन्न विभागों में वरिष्ठ अधिकारियों की संभावित नियुक्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए खड़गे ने आगाह किया कि इससे अगले छह महीनों के लिए हमारे देश के शासन में रुकावट आ सकती है। खड़गे ने 9 अक्टूबर, 2023 को रक्षा मंत्रालय द्वारा पारित एक आदेश का हवाला दिया, जिसमें वार्षिक छुट्टी पर गए सैनिकों को अपना समय सरकारी प्रचार अभियानों में बिताने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सेना प्रशिक्षण कमान को सरकारी पहल को बढ़ावा देने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय हमारे सैनिकों को हमारे देश की रक्षा के लिए तैयार करने को प्राथमिकता देनी चाहिए।