नई दिल्ली। बिहार में सियासी ड्रामा आखिरकार खत्म हो ही गया है। बिहार में एक बार फिर से नीतीश कुमार ने पलटी मारी हैं। जेडीयू ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया है और अब नीतीश कुमार आरजेडी, कांग्रेस, वाम दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रहे हैं। बुधवार को 2 बजे वो 8वीं बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने जा रहे है, उनके साथ आरेजडी नेता तेजस्वी यादव भी डिप्टी सीएम की शपथ लेंगे। इसी बीच नीतीश कुमार के पलटी मारने पर उनके चुनावी रणनीतिकार रहे पीके यानि प्रशांत किशोर की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने इशारों ही इशारों ही में नीतीश कुमार के आरजेडी के साथ जाने पर हमला बोला है। पीके ने कहा कि, नीतीश कुमार ने 10 सालों में यह छठवीं बार प्रयोग किया है।जिससे उनकी सियासी पारी पर भी प्रभाव पड़ेगा।
प्रशांत किशोर ने किसी भी गठबंधन में उनके ही मुख्यमंत्री बने रहने पर भी जवाब दिया। पीके ने एक न्यूज चैनल से खास बातचीत में कहा कि, यह संभावनाओं की भी बात है। उन्होंने नीतीश कुमार के बार-बार पाला बदलने की वजह से सियासी नुकसान होने की भी बात कही है। उन्होंने ये भी कहा कि कभी 115 विधायकों वाली जेडीयू अब महज 43 पर सिमट कर रह गई है। जिसकी वजह से उनकी पार्टी में गिरावट आ रही है। यह अलग बात है कि नीतीश कुमार किसी तरह से गठजोड़ में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हो जाते हैं। लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि इतने बदलाव के बाद भी उनकी कार्यशैली कोई चेंजमेंट नहीं आया।
बता दें कि ये पहली मौका नहीं है, जब नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता तोड़कर आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बना चुके है। इससे पहले नीतीश कुमार ने साल 2014 में एनडीए की ओर से नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाए जाने खफा हो गए थे। जेडीयू ने एनडीए से 17 साल पुराना नाता तोड़ लिया था। इसके बाद 2015 में उन्होंने लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। मगर दोनों का गठबंधन ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाया और करीब 20 महीने की सरकार चलाने के बाद नीतीश कुमार ने आरजेडी से गठबंधन तोड़ लिया था और फिर से भाजपा के साथ मिलकर दोबारा सत्ता पर काबिज हो गए थे।