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Republic Day 2023: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर संबोधन, देशवासियों को दी बधाई

जब हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं, तब एक राष्ट्र के रूप में हमने मिल-जुल कर जो उपलब्धियां प्राप्त की हैं, उनका हम उत्सव मनाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि बतौर भारतीय हमें एक बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि हम सभी एक ही हैं। इतनी सारी विभिन्नताओं के बीच हम सभी को एकता के सूत्र ने आपस में पिरोकर रखा है।

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नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशवासियों को संबोधित कर रही हैं। यह उनका पहला संबोधन हैं। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर उन्होंने देश व विदेश में रहने वाले भारतीयों को इस राष्ट्रीय पर्व की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि मैं हार्दिक बधाई देती हूं। जब हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं, तब एक राष्ट्र के रूप में हमने मिल-जुल कर जो उपलब्धियां प्राप्त की हैं, उनका हम उत्सव मनाते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि बतौर भारतीय हमें एक बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि हम सभी एक ही हैं। इतनी सारी विभिन्नताओं के बीच हम सभी को एकता के सूत्र ने आपस में पिरोकर रखा है। यह इसी एकता का नतीजा है कि आज हम सभी लोकतांत्रिक मूल्यों को संरक्षित रखने में सफल हुए।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आगे अपने संबोधन में कहा कि, ‘भारत एक गरीब और निरक्षर राष्ट्र की स्थिति से आगे बढ़ते हुए विश्व-मंच पर एक आत्मविश्वास से भरे राष्ट्र का स्थान ले चुका है। संविधान-निर्माताओं की सामूहिक बुद्धिमत्ता से मिले मार्गदर्शन के बिना यह प्रगति संभव नहीं थी। राष्ट्रपति ने कहा कि, ‘भारत एक गरीब और निरक्षर राष्ट्र की स्थिति से आगे बढ़ते हुए विश्व-मंच पर एक आत्मविश्वास से भरे राष्ट्र का स्थान ले चुका है। संविधान-निर्माताओं की सामूहिक बुद्धिमत्ता से मिले मार्गदर्शन के बिना यह प्रगति संभव नहीं थी। भारत एक गरीब और निरक्षर राष्ट्र की स्थिति से आगे बढ़ते हुए विश्व-मंच पर एक आत्मविश्वास से भरे राष्ट्र का स्थान ले चुका है। संविधान-निर्माताओं की सामूहिक बुद्धिमत्ता से मिले मार्गदर्शन के बिना यह प्रगति संभव नहीं थी।

इसके साथ ही राष्ट्रपति ने भारत की बढ़ती विकसित अर्थव्यवस्था का जिक्र कर कहा कि, ‘पिछले साल भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया।यह उपलब्धि, आर्थिक अनिश्चितता से भरी वैश्विक पृष्ठभूमि में प्राप्त की गई। सक्षम नेतृत्व और प्रभावी संघर्षशीलता के बल पर हम शीघ्र ही मंदी से बाहर आ गए और अपनी विकास यात्रा को फिर से शुरू किया। इसके अलावा उन्होंने महिला सशक्तिकरण का भी जिक्र किया। कहा कि महिला सशक्तीकरण तथा महिला और पुरुष के बीच समानता अब केवल नारे नहीं रह गए हैं। मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि महिलाएं ही आने वाले कल के भारत को स्वरूप देने के लिए अधिकतम योगदान देंगी।

राष्ट्रपति ने आगे कहा कि भारत को जी-20 को मिली कमान के संदर्भ में भी अपनी राय जाहिर की। उन्होंने कहा कि इस वर्ष भारत G20 देशों के समूह की अध्यक्षता कर रहा है। विश्व-बंधुत्व के अपने आदर्श के अनुरूप, हम सभी की शांति और समृद्धि के पक्षधर हैं। G20 की अध्यक्षता बेहतर विश्व के निर्माण में योगदान हेतु भारत को अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करती है।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि,’मैं किसानों, मजदूरों, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की भूमिकाओं की सराहना करती हूं जिनकी सामूहिक शक्ति हमारे देश को “जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान” की भावना के अनुरूप आगे बढ़ने में सक्षम बनाती है।”

इसके अलावा उन्होंने सीमा सुरक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले जवानों का भी जिक्र किया। कहा कि मैं उन बहादुर जवानों की विशेष रूप से सराहना करती हूं जो सीमाओं की रक्षा करते हैं और किसी भी त्याग तथा बलिदान के लिए सदैव तैयार रहते हैं। देशवासियों को आंतरिक सुरक्षा प्रदान करने वाले अर्ध-सैनिक बलों तथा पुलिस-बलों के बहादुर जवानों की मैं सराहना करती हूं।

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