Punjab: एक तरफ किसानों का आंदोलन, समर्थन में पंजाब सरकार, फिर क्यों विवादित कृषि कानून के तहत प्रदेश में हुई फसलों का खरीददारी?
Punjab: कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन का 41वां दिन। दिल्ली की सीमा को घेरकर बैठे किसान। आंदोलन को समर्थन दे रही पंजाब सरकार, तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी विधानसभा में नए कानून बना चुकी कैप्टन की टीम।
नई दिल्ली। कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन का 41वां दिन। दिल्ली की सीमा को घेरकर बैठे किसान। आंदोलन को समर्थन दे रही पंजाब सरकार, तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी विधानसभा में नए कानून बना चुकी कैप्टन की टीम। आखिर फिर ऐसा क्या हुआ की केंद्र सरकार का कृषि कानून जिसे पंजाब के किसान और कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी के लोग विवादित कानून मानते हैं उसको राज्य में लागू कर दिया गया।
इस कड़कड़ाती ठंढ में दिल्ली की सीमाओं को घेरकर बैठे किसान एक तरफ तो केंद्र सरकार से तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। वहीं पंजाब सरकार भी इन तीनों कृषि कानूनों को किसानों के खिलाफ बताकर अपनी विधानसभा में तीन के बदले चार कानून पास कर चुकी है। इसमें किसान उत्पादन व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विशेष प्रावधान एवं पंजाब संशोधन विधेयक 2020, आवश्यक वस्तु (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) बिल 2020, किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) बिल 2020 और कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर (पंजाब संशोधन) बिल, 2020 शामिल हैं। आखिर पंजाब सरकार ने जब ये किसान हितैषी बिल अपनी विधानसभा से पास करा लिए तो फिर केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को राज्य में लागू क्यों किया।
बता दें कि केंद्र सरकार की तीन कृषि कानूनों का विरोध करते-करते कैप्टन की सरकार को इससे इतना प्यार हो गया कि उन्होंने तीनों कानूनों को राज्य में लागू करते हुए इस पर कार्रवाई शुरू कर दी। मतलब किसानों के साथ केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध करने के पंजाब सरकार के फैसले की हकीकत तो कुछ और ही निकली।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पंजाब में इन्हीं तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के तहत किसानों के फसल की खरीदी की गई और भविष्य में भी इन कानूनों के तहत ही फसल की खरीदी का फैसला लिया गया है। इस बात को किसी और ने नहीं बल्कि प्रेस वार्ता के दौरान पंजाब सरकार के कृषि मंत्री भारत भूषण आसू ने स्वीकारा। उन्होंने इस प्रेस वार्ता के दौरान यह भी कहा कि आगामी गेहूं की खरीद भी केंद्रीय कानूनों के तहत ही की जाएगी।
ऐसे में यह साफ हो गया है कि भले ही पंजाब की कांग्रेस सरकार दिखावे के लिए इन तीन केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध कर रही हो लेकिन भीतर ही भीतर इसे राज्य में लागू भी कर चुकी है। इन तीन कृषि कानूनों के लागू होने की सबसे बड़ी हकीकत राज्य में ये है कि राज्य के खाद्य व आपूर्ति विभाग ने इन्हीं कानूनों के तहत धान की खरीद की और बाहर के किसानों को भी अपनी फसल बेचने का मौका दिया। इस बार इसी के तहत पंजाब में 15 से 25 प्रतिशत तक ज्यादा फसल की खरीदी हुई है। ऐसे में साफ हो गया है कि इन तीन केंद्रीय कृषि कानूनों का भले ही पंजाब सरकार विरोध का दिखावा कर रही हो लेकिन उसे यह कानून भा गया है और अपनी विधानसभा से पास कराए गए उनके कानून राजनीतिक स्टंट से ज्यादा कुछ भी नहीं है।